सिगापुर: सिगापुर का चीनी बहुल बहु-नस्ली समाज अब ऐसे शीर्ष नेताओं को स्वीकार करने के लिए अधिक तैयार हो गया है, जो गैर-चीनी हैं। चैनल न्यूज एशिया (सीएनए) और इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी स्टडीज (आईपीएस) के हालिया सर्वेक्षण से यह जानकारी मिली है। सीएनए ने शनिवार को बताया कि हालांकि, सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर लोग किसी भी देश के नए नागरिक द्बारा इन भूमिकाओं को निभाने के विचार को लेकर ''बहुत असहज’’ नजर आए। 10 फीसदी से भी कम लोगों ने कहा कि वे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के तौर पर नए नागरिक को देखने में सहज महसूस करेंगे।
पिछले साल हुए सीएनए-आईपीएस सर्वेक्षण के दूसरे संस्करण में एक बड़े वर्ग ने कहा कि वे प्रधानमंत्री के तौर पर सिगापुरी-मलय (69.6 फीसदी) या सिगापुरी-भारतीय (70.5 फीसदी) नागरिक को स्वीकार कर सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, ये आंकड़े 2016 में हुए अध्ययन के मुकाबले अधिक हैं, जिसमें 60.8 फीसदी प्रतिभागियों ने सिगापुरी-मलय नागरिक और 64.3 प्रतिशत ने सिगापुरी-भारतीय नागरिक को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार होने की बात कही थी। उन्होंने बताया कि ताजा अध्ययन में लगभग सभी लोग (98.8 प्रतिशत) प्रधानमंत्री के तौर पर सिगापुरी-चीनी नागरिक को स्वीकार करने के लिए तैयार दिखे, जबकि पिछले अध्ययन में यह आंकड़ा 95.6 फीसदी था।
अध्ययन के अनुसार, प्रधानमंत्री के तौर पर अधिक पसंदीदा तीन प्रमुख नस्लों में चीनी, मलय और भारतीय शामिल रहे प्रतिभागियों में शामिल भारतीयों में से 91.9 प्रतिशत ने कहा कि वे प्रधानमंत्री के तौर पर सिगापुरी-भारतीय नागरिक को स्वीकार करेंगे, जबकि 90.3 प्रतिशत ने कहा कि वे चीनी चेहरे के साथ सहज महसूस करेंगे। वहीं, प्रधानमंत्री के रूप में मलय चेहरे का समर्थन करने वाले भारतीयों की संख्या 80.8 प्रतिशत थी।
सर्वेक्षण के अनुसार, बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि नस्लवाद एक महत्वपूर्ण समस्या बनी हुई है, जबकि काफी लोगों का मानना है कि सिगापुर में प्रत्येक व्यक्ति अमीर या कामयाब बन सकता है, चाहे वह किसी भी नस्ल का हो। यह सर्वेक्षण 21 साल या उससे अधिक आयु के दो हजार से ज्यादा स्थायी निवासियों पर किया गया था।