बातचीत के दौरान हम अक्सर कुछ वाक्य बार-बार दोहराते हैं, जिन्हें सुनकर दूसरों को बरबस हंसी आ जाती है, पर आदत के मुताबिक हम अपना तकिया कलाम नहीं छोड़ पाते।
जरा सा...
रहना चाहते है अगर लम्बे समय तक जवान तो करे सीड़ियों का इस्तेमाल
जरा पेन देना... जरा आप मुझे अपनी किताब देंगे, जरा सा आप इधर आएंगे। बातचीत के दौरान कुछ लोग बार-बार इन दो शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल जरा सा... शब्द अंग्रेजी के एक्सक्यूज मी जैसा भाव प्रकट करता है और अतिशय विनम्र लोगों की बोलचाल की शैली में आदतन शुमार हो जाता है। टेक्निकली, इसमें कोई दिक्कत भी नहीं है, आखिर इससे इमेज बढिय़ा ही बनती है।
हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करे दही को अपने भोजन में इस्तेमाल कर
और सुनाओ...
जब दो पुराने परिचित, दोस्त या रिश्तेदार बहुत दिनों बाद मिलते हैं और उनमें से कोई एक कम बोलने वाला हो तो वह संक्षिप्त ढंग से अपना हाल बताकर चुप हो जाता है। वहीं दूसरा व्यक्ति जो ज्यादा बातूनी और उत्सुक प्रवृत्ति का होता है, वह सामने वाले से बार-बार यही पूछता है, और सुनाओ, और सुनाओ...? दरअसल ऐसे लोग मिलने वाले से उसकी पर्सनल लाइफ की कुछ ऐसी बातें भी जानने की कोशिश करते हैं, जिन्हें वह दूसरों के साथ शेयर नहीं करना चाहता।
दम लेने की फुर्सत नहीं...
अति व्यस्तता के शिकार लोगों के मुंह से अक्सर यह जुमला निकल जाता है। खासतौर पर किसी एक कार्य में व्यस्त रहने वाले इंसान से अगर बीच में कोई दूसरा काम करने को कहा जाता है तो वह यही जुमला दोहराता है। जब घर मेहमानों से भरा हो तो किचन में व्यस्त गृहिणी के मुंह से अक्सर यही वाक्य निकलता है।
देखते हैं...
यह आश्वासन भरा जुमला ज्यादातर बड़े लोग इस्तेमाल करते हैं। वह भी तब, जब कोई छोटा उनके सामने अपनी समस्या लेकर जाता है या उनसे किसी चीज की मांग करता है। कई बार जब लोग अपने किसी निर्णय को लेकर
अनिश्चित होते हैं या दूसरे व्यक्ति की बात को टालना चाहते हैं, तब भी वे ऐसे जुमले का इस्तेमाल करते हैं। मसलन, जब टीनएजर बेटी अपने पिता से स्कूटी दिलाने के लिए आग्रह करती है तो अमूमन उनका यही जवाब होता है, 'देखते हैं...।'
वाह क्या बात है !
जब हम ज्यादा गर्मजोशी से दूसरों की तारीफ करते हैं तो हमारे मुंह से सबसे पहले यही वाक्य निकलता है। ज्यादातर दूसरों की फिजिकल अपियरेंस मसलन नए कपड़े, मेकअप, गैजेट्स या हेयर स्टाइल में कोई बदलाव देखकर प्राय: लोग ऐसे जुमले का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा कई बार जब लोगों की तारीफ में हल्का सा व्यंग्य का भी पुट होता है, तब भी लोगों के मुंह से बेसाख्ता यही जुमलाा निकलता है, 'वाह क्या बात है।'
आज तो दिन ही खराब है
मोबाइल घर पर छूट जाना, रास्ते में ठोकर लगना या बस में कंडक्टर से झड़प होना... पहले से ही परेशान हाल लोगों के सामने जब कभी कुछ ऐसी ही समस्याएं आ खड़ी होती हैं तो ऐसे में बरबस उनके मुंह से यही वाक्य
निकलता है। हालांकि कुछ निराशावादी प्रवृत्ति के लोग भी छोटी-छोटी बातों से परेशान होकर हमेशा यही कहते हैं, 'आज तो मेरा दिन ही खराब है।'
मैं डाइटिंग पर हूं
कुछ लोग अपने वजन को लेकर चिंतित तो जरूर होते हैं, पर उसे घटाने की जरा भी कोशिश नहीं करते। ऐसे लोगों में ज्यादातर वैसी स्थूलकाय स्त्रियां शुमार होती हैं, जो विवाह समरोह या पार्टी जैसे अवसरों पर, अपनी प्लेट में हर दूसरी सर्रि्वंग लेने के बाद हमेशा यही वाक्य दोहराती हैं, 'बहुत हो गया, अब और कुछ नहीं लूंगी, आजकल में डाइटिंग पर हूं।' इस घोषणाा के बाद वे जी भरकर स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठाती हैं।