टायरोसिन एक तरह का अमीनो एसिड है जो आपको मानसिक रूप से हेल्दी रखने में मदद करता है। इसके साथ ही टायरोसिन ब्लड प्रेशर को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है जिससे स्ट्रेस, हार्ट रेट, स्टैंड पेन और मेटाबॉलिक रेट पर असर पड़ता है। टायरोसिन एक नॉन-एसेंशियल अमीनो एसिड है जो अमीनो एसिड फेनिलएलनिन से शरीर को प्राप्त होता है।
टायरोसिन के प्रमुख स्रोत
शऱीर को बाहरी तौर पर भोज्य पदार्थ से भी टायरोसिन प्राप्त होता है। चीज़, फर्मेंटेड सॉसेज, आचार और ड्राई फिश टायरोसिन के सबसे बड़े स्रोत हैं। इसी के साथ लीमा बीन्स, लेंटील्स, बीयर, रेड वाइन और फ्रीज़ मटर में टायरोसिन बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। चॉकलेट, व्हाइट वाइन, मूंगफली और सोया सॉस में भी टायरोसिन की कुछ मात्रा होती है।
टायरोसिन और ब्लडप्रेशर
1979 में "प्रोसिडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज" में जानवरों पर टायरोसिन के असर से संबंधित एनीमल स्टडी प्रकाशित हुई थी। इस स्टडी में अध्ययनकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की कि टायरोसिन के इंजेक्शन ने चूहे के ब्लड प्रेशर को कम कर दिया था। इसी तरह टायरोसिन पर एक दूसरी अन्य स्टडी 1994 में "ब्रेन रिसर्च बुलेटिन" में प्रकाशित हुई थी। इस स्टडी में इंसान के स्वास्थ्य पर टायरोसिन के असर का अध्ययन किया गया था। जिसमें इस बात की पुष्टि हुई थी कि टायरोसिन डायस्टोलिक प्रेशर को तो कम करता है लेकिन सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।
टायरोसिन का होता है सकारात्मक असर
टायरोसिन इंसान के लिए काफी लाभदायक है। इसके प्रभाव से इंसान मेंटली तौर पर स्वस्थ और स्ट्रेस फ्री रहता है। इसी कारण जब इंसान तनाव में रहता है तो उसे टायरोसिनयुक्त भोज्य पदार्थ जैसे चॉकलेट, चीज़, ड्राई फिश या आदि खाने की हिदायत दी जाती है।
एक तरह से यूं कहें कि टायरोसिन लो ब्लड प्रेशर को हाई करने में मदद करता है। जिसे भी लो ब्लड प्रेशर की समस्या होती है उसे टायरोसइन युक्त आहार ग्रहण करने की हिदायत है।
टायरोसिन का नकारात्मक असर भी
लेकिन शरीर में टायरोसिन की मात्रा अधिक होने से इसका दुष्प्रभाव भी पड़ता है। टायरोसिन शरीर में डोपामाइन (डोपामाइन एक तरह का न्यूरोट्रांसमीटर, जो शरीर और दिमाग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है) में बदल जाता है जिससे शरीर बैचेन हो जाता है। इससे उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होती है।
इसी तरह चॉकलेट में मौजूद टायरोसिन ब्लड प्रेशर को बढ़ा देता है जिससे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है जो नींद ना आने की समस्या का कारण बन जाता है।