बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि पुलिस को देर रात बाहर मौजूद लोगों से पूछताछ करने का पूरा अधिकार है. आपको बता दें कि तीन साल पुराने मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई और फिर यह सब कहा गया. इस मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ शराब पीकर गाड़ी चलाने और पुलिस से दूर भागने का आरोप है. बताया जा रहा है कि इस मामले में पुलिसकर्मी ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. वहीं अब कोर्ट ने शख्स के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया है. मामला 2 फरवरी 2019 का बताया जा रहा है, जब सब-इंस्पेक्टर ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
बताया जा रहा है कि उस दौरान शराब पीकर वाहन चलाने वालों की जांच के लिए पुलिसकर्मी को विले पार्ले में तैनात किया गया था. वहीं दोपहर 1.50 बजे एक चालक वहां से गुजरा और रुकने का प्रयास करने पर बैरिकेडिंग मारकर भाग गया. हालांकि, पुलिस ने उनका पीछा किया और अंधेरी पुल के पास रुक गए। उस वक्त पुलिस ने पाया कि दोनों कारों में दो महिलाओं समेत सात लोग मौजूद थे. इस मामले में पुलिस का कहना है कि पहली कार का चालक नशे में था और जांच से इंकार कर रहा था. इतना ही नहीं उसने रिश्वत देने की भी कोशिश की। सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक जांच में युवक पॉजिटिव आया और उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था.
इस सब के बाद समूह ने अपने फोन से वीडियो शूट करने की कोशिश की और जुर्माना पर्ची पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसी दौरान दोनों पक्षों में मारपीट भी हो गई। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि 7 लोगों ने पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी की और मौके पर भेजे गए अतिरिक्त लोगों के साथ भी मारपीट की. इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता की वकील रोहिणी वाघ ने धाराओं पर सवाल उठाए. सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, वह दूसरी कार में था और महिलाओं के पहली कार से नीचे उतरने के बाद उसने सीट बदल ली थी. बताया गया कि युवक शराब नहीं पीता था। इसके अलावा वकील ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने नया काम शुरू किया है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इस मामले में कोर्ट का कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि याचिकाकर्ता दूसरी कार में बैठा था और पहली कार में बैठी महिलाओं को लेकर उसने सीट बदल ली थी. उन्होंने कहा, 'ध्यान देने वाली बात है कि इसके बाद पुलिस के साथ गाली-गलौज और मारपीट की गई।'