H-1B वीजा धारकों के लिए बड़ी खबर! अमेरिकी सरकार का नया अपडेट, भारतीयों की बढ़ सकती है चिंता

Preeti Sharma | Friday, 07 Mar 2025 10:31:35 AM
Big news for H-1B visa holders! New update from the US government, Indians may be worried

अमेरिका में H-1B वीजा धारकों के लिए नई समस्या

अमेरिका में H-1B वीजा पर काम करने वाले अधिकांश भारतीय अपने परिवार के साथ वहां रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि उन्हें ग्रीन कार्ड मिल जाएगा, जिससे वे स्थायी रूप से अमेरिका में रह सकें। लेकिन अब यह आसान नहीं लग रहा है।

H-4 वीजा धारकों की बढ़ी चिंता

अमेरिका में H-1B वीजा धारकों के बच्चों के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो रही है। जिन बच्चों को माता-पिता के साथ H-4 वीजा पर अमेरिका लाया गया था, वे अब 21 वर्ष के होने के कगार पर हैं और उन्हें अमेरिका छोड़ने का खतरा है। अमेरिकी नियमों के अनुसार, यदि बच्चे 21 वर्ष से अधिक उम्र के हो जाते हैं और वे अमेरिकी नागरिक नहीं बनते, तो उन्हें देश छोड़ना पड़ता है। यदि वे अमेरिका में रहना चाहते हैं, तो उन्हें किसी अन्य वीजा के लिए आवेदन करना होगा।

H-1B वीजा धारकों के पास क्या विकल्प हैं?

H-1B वीजा धारक माता-पिता के पास दो ही विकल्प हैं -

  1. वे अपने बच्चों को भारत भेज दें।

  2. वे अपनी उच्च वेतन वाली नौकरी छोड़कर भारत लौट जाएं।

कितने भारतीयों को अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है?

पुरानी सरकारी नीति के तहत, 21 वर्ष की उम्र के बाद बच्चों को नया वीजा लेने के लिए दो साल का समय मिलता था, लेकिन अब नियम बदल गए हैं। कोर्ट के फैसले के बाद यह सुविधा भी समाप्त कर दी गई है। ऐसे में, इन बच्चों को भारत लौटने का डर सताने लगा है। मार्च 2023 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 1.34 लाख भारतीय बच्चों को H-4 वीजा की स्थिति खोने का खतरा था, इससे पहले कि उनके परिवारों को ग्रीन कार्ड मिलता। इसका मतलब है कि ये बच्चे अब अमेरिका में कानूनी रूप से नहीं रह पाएंगे।

ग्रीन कार्ड की लंबी प्रतीक्षा और अदालत का फैसला

हाल ही में, टेक्सास की एक अदालत ने DACA (Deferred Action for Childhood Arrivals) के तहत नए आवेदकों के लिए वर्क परमिट पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे स्थिति और उलझ गई है। DACA उन अविवासित प्रवासियों को अस्थायी सुरक्षा प्रदान करता है, जो 21 वर्ष की उम्र के बाद अपने माता-पिता पर निर्भर नहीं रह सकते। इस फैसले के कारण भारतीय बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।

सबसे बड़ी समस्या ग्रीन कार्ड की लंबी प्रतीक्षा अवधि है। भारतीय H-1B वीजा धारकों ने ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया है, लेकिन उनकी प्रतीक्षा अवधि 12 साल से लेकर 100 साल तक हो सकती है। ग्रीन कार्ड न मिलने के कारण उनके बच्चों के पास अमेरिका में स्थायी रूप से रहने का कोई साधन नहीं बचता।

भारतीय बच्चों की परेशानी

कैलिफोर्निया की एक 20 वर्षीय नर्सिंग छात्रा का डिपेंडेंट वीजा इस अगस्त में समाप्त हो रहा है। TOI से बात करते हुए उसने कहा, "मैं छह साल की उम्र से यहां रह रही हूं। मेरी पढ़ाई, दोस्त और भविष्य सब कुछ यहीं है। लेकिन अब मुझे बताया जा रहा है कि मुझे इस देश को छोड़ना होगा, जिसे मैं बचपन से अपना घर मानती आई हूं।" हालांकि, छात्रा के पास अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए F-1 वीजा (स्टूडेंट वीजा) में बदलने का विकल्प है, लेकिन ऐसा करने पर उसे विदेशी छात्र माना जाएगा।

एक अन्य 20 वर्षीय छात्र, जो टेक्सास में रहता है, ने कहा, "राज्य सरकार की सहायता के बिना मैं अपनी ट्यूशन फीस नहीं चुका सकता, न ही ऑफ-कैंपस काम कर सकता हूं। ऐसा लग रहा है जैसे मुझे ऐसी चीज़ के लिए दंडित किया जा रहा है, जिस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था। मेरे दोस्तों की तुलना में मुझे $45,000 (लगभग 39.2 लाख रुपये) की फीस चुकानी होगी, जबकि वे यहां $10,000 (लगभग 8.7 लाख रुपये) ही देते हैं।"

 



 


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