जयपुर की शान कहा जानें वाला जंतर-मंतर आज जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। देश से ही नहीं बल्कि विदेशो से भी यहां बड़ी संख्या में पर्यटक इसे देखनें के लिए आते है। जयपुर के इस पर्यटन स्थल के बारे में आपनें जितना सुना और देखा है शायद वो कहीं से सुनी बाते है लेकिन आज जिन बातों से हम आपको रुबरु करा रहे है उनके बारे में आप शायद अनजान हो। तो क्या हैं ये जरूरी और दिलचस्प जानकारियां, आईए जानते हैं....
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1. जयपुर के जंतर मंतर को यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों की सूची में शामिल किया गया है।
2. जयपुर का जंतर मंतर 5 प्रमुख वेधशालाओं में से एक है। इसका निर्माण सन् 1728 से 1734 के दौरान जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह(द्वितीय) द्वारा करवाया गया था जो कुशल शासक होने के साथ ही एक खगोलशास्त्री भी थे। 18 वीं शताब्दी के शुरुआत में उन्होंने भारत के दिल्ली, मथुरा, जयपुर, वाराणसी और उज्जैन इन 5 शहरों में जंतर मंतर बनवाए।
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3. भारत की अलग-अलग जगहों में 5 वेधशालाएं बनाई गईं, इन सब में जयपुर की जंतर- मंतर वेधशाला सबसे बड़ी है। यहां जो यंत्र स्थापित किये गये हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं- चक्र यंत्र, दक्षिण भित्ति यंत्र, दिगम्शा यंत्र, दिशा यंत्र, कनाली यंत्र और मिस्र यंत्र।
4. जंतर मंतर का निर्माण समय और अंतरिक्ष के अध्ययन के लिए करवाया गया था। जयपुर की यह रचना उन्नीस वास्तु खगोलीय उपकरणों का एक परिसर है, जो अब भी चल रहा है और इसका गणना और शिक्षण के लिए अब भी इस्तेमाल किया जाता है। यह निरीक्षण और सूर्य के चारों ओर कक्षाओं का अध्ययन करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यहाँ की कुछ रचनाएं पत्थर, संगमरमर और तांबे से बनी हुई हैं।
5. दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्यघड़ी जयपुर के जंतर मंतर में ही स्थित है जिसे बृहत् सम्राट यंत्र कहा जाता है। यह उपकरण दो सेकंड की सटीकता पर स्थानीय समय बताता है। यह रचना लगभग 27 मीटर ऊंची है। इस विशाल सम्राट यंत्र की प्रसिद्धि के पीछे सबसे बड़ा कारण है इसकी सटीकता। एक छोटा यंत्र सही समय नहीं बता पा रहा था, इसलिए इसके आकार को बढ़ाना ही एक मात्र उपाय बचा था।