नई दिल्ली सांप एक ऐसा का जीव है, जिसे देख कर कोई भी डर जाता है। कोई उससे भागकर बचना चाहता है तो कोई उसे मारकर बचना चाहता है। लेकिन झारखंड की राजधानी रांची में रहने वाला एक युवक ऐसा भी है, जो सांपों को मारता नहीं, बल्कि बचाता है। इस युवक का नाम विवेकानंद है।
अब रांची और आस-पास के जिलों के गांवों में कोई सांप निकल आता है तो लोग विवेकानंद को बुला लेते हैं।
यह युवक अपने इस काम में काफी पारंगत हो गया है और प्रसिद्ध भी इतनी मिल चुकी है कि लोग विवेकानंद को को ल्लस्नेक मैन– नाम से ही पुकाने लगे हैं। अब तक विवेकानंद को कई बार सांपों ने काटा है, लेकिन वह इस बात की परवाह किये बिना अपने कार्य में लगा रहता है।
विवेकानंद ने सांपों के जहर से ही एंटी वेनम का निर्माण किया है। जिसको वह सर्पदंश के शिकार लोगों को दवा के रूप में देता है।
वर्तमान में विवेकानंद ने सरकार से सांपों का जहर निकालने के लिए लाइसेंस की मांग की है। विवेकानंद जब केवल 13 साल का था, तभी से सांपों को पकडऩे लगा था। अब वह इस अपने इस कार्य में काफी माहिर हो गया है।
इस युवक का कहना है कि अक्सर सांप को देखते ही लोग उसको मारने के लिए उतावले हो जाते हैं और किसी भी प्रकार से उसको मार देते हैं, लेकिन ऐसा करना नहीं चाहिए।
हम लोगों को भी सांपों के साथ वैसी ही इंसानियत का उपयोग करना चाहिए जैसी हम दूसरों से चाहते हैं।
विवेकानंद का कहना है कि जो लोग सांप को मारते नहीं हैं, वो उनको जंगल में छोड़ देते हैं जहां से उन सांपो को खेल दिखाने वाले मदारी पकड़ लेते हैं और पैसे कमाते हैं। जिस प्रकार से दूसरे जीवों को बचाने की मुहीम कई संस्थाएं चला रही है, वैसे ही इस विवेकानंद ने सांपों को बचाने की मुहीम शुरू की है।
विवेकानंद अब तक करीब 1400 सांपो को बचा चुका है। वर्तमान में यह युवक रांची यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में एमएससी कर रहा है और इसने सांपों के संरक्षण के लिए एक संस्था का निर्माण भी किया है जिसका नाम है – सरवाइवल ऑफ नेचर एंड कीपर ऑफ अर्थ–। विवेकानंद की इस संस्था का उद्देश्य सांपों की लोगों को पहचान कराना और उनको बचाना है।