योग हमारे समाज में प्राचीन काल से प्रसिद्ध है। पुराने समय में ऋषि मुनि योग के गुण सभी को सिखाया करते थे। योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है। भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। और आज भी योग पुरे दुनिया में अपनी पहचान बना कर बैठा है। योग में वो शक्ति है जो किसी उपचार में नहीं। योग से हर तरह की बीमारी दूर होती है। फिर चाहे वो टीबी ,कैंसर, दिल की बीमारी , डिप्रेशन ही क्यों ना हो।
योग ने लोगो को इस हद्द तक फायदा पहुचाया है की, इसकी अंतराष्ट्रीय पहचान बन चुकी है। और पूरी दुनिया अंतराष्ट्रीय योग दिवस मानते है। योगासन और प्राणायाम का विकास भारत में ही हुआ है जो मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के विकास से जुड़ा हुआ है । हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने विभिन्न योगासनों का विकास कर मनुष्य के जीवन को स्वस्थ एवं प्रसन्नता से परिपूर्ण करने की कोशिश की थी ।
साधारण रूप से योग का अर्थ है जोड़ना । योग + आसन जिससे योगासन शब्द बना है का संपूर्ण अर्थ है ऐसे आसन जो मनुष्य को परमात्मा से जोड़ते हैं ।
सर दर्द से राहत दिलाये ये आसान नुस्खे
योग के माध्यम से शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के सामूहिक विकास के प्रयास किए जाते हैं । इसका लक्ष्य शरीर और मन को प्रशिक्षण देना होता है तथा आसन अपने असाधारण प्रभाव के कारण इसका एक अभिन्न अंग है । इसी तरह प्राणायाम श्वास-प्रश्वास पर नियंत्रण रखने एवं इसे नियमित करने का विज्ञान है ।