शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इसी दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरम्भ हुआ था इसीलिए इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप, तप, स्नान, होम, ज्ञान आदि अक्षय हो जाता है। वहीं इस दिन अबूझ मुहूर्त भी होता है इसलिए इस दिन विवाह कार्य की शुरुआत, गृह प्रवेश, गृह आरम्भ के साथ कोई भी नवीन कार्य की शुरुआत बगैर किसी ज्योतिष से पूछे भी कर सकते हैं। वहीं अगर इस दिन कुछ खास उपाय किए जाएं तो इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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अक्षय तृतीया के दिन करें ये काम :-
इस दिन शिव मंदिर में जल से भरा कलश शिवलिंग के ऊपर रखें और खरबूजा चढ़ाएं।
अक्षय तृतीया से ही चारों धामों में प्रमुख बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। इसलिए इस दिन सभी भक्तों को बद्रीनारायण के चित्र को सिंहासन पर रखकर मिश्री तथा भीगी हुई चने की दाल का भोग लगाना चाहिए। इसी के साथ चित्र पर तुलसीदल चढ़ाकर पूरी श्रद्धा से पूजा व आरती करें। भगवान विष्णु की पूजा करते समय ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।
जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है वह पापों से मुक्त हो जाता है। इस दिन घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, नमक, घी, चीना, साग, इमली, फल, वस्त्र, खड़ाऊं, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा आदि के साथ दक्षिणा का दान भी ब्राह्मणों को देना चाहिए।
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अगर किसी के पास इस दिन दान करने के लिए कुछ भी नहीं है तो वह केवल जल ही दान कर सकता है। अगर अक्षय तृतीया पर एक लोटा जल किसी भी वृक्ष पर डाल दें तो वह भी दान कहलाता है और इससे भी पुण्य की प्राप्ति होती है। वैसे विशेष दान में तो स्वर्ण दान का ही महत्व है।
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