कैलाश मानसरोवर को भगवान महादेव-पार्वती का घर माना जाता है। सदियों से देवता, दानव, योगी, मुनि और सिद्ध महात्मा यहां तपस्या करते आए हैं। इतना ही नहीं यहां पर्वत पर बर्फ से बने साक्षात ॐ के दर्शन भी होते हैं। जब रात के कालेपन को चीरती हुई सूर्य की पहली किरण कैलाश पर्वत पर पड़ती हैं तो यह पूर्ण रूप से किसी सोने के आवरण सा सुनहरा हो जाता है। लोगो का कहना है कि ब्रह्मा जी ने अपने मन-मस्तिष्क से मानसरोवर बनाया है। दरअसल, मानसरोवर शब्द संस्कृत के मानस (मस्तिष्क) और सरोवर (झील) शब्द से बना है।
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ब्रह्ममुहूर्त में यहां स्नान करते हैं देवता गण
मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति मानसरोवर की धरती को छू लेता है, वह ब्रह्मा के बनाए स्वर्ग में पहुंच जाता है और जो व्यक्ति झील का पानी पी लेता है, उसे भगवान शिव के बनाए स्वर्ग में जाने का अधिकार मिल जाता है। माना जाता है कि ब्रह्ममुहूर्त में देवता गण यहां स्नान करते हैं।
सती का हाथ यहां गिरने से बनी झील :-
ग्रंथों के अनुसार, सती का हाथ इसी स्थान पर गिरा था, जिससे यह झील तैयार हुई, इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से भी एक माना गया है। गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर की बर्फ पिघलती है, तो एक प्रकार की आवाज भी सुनाई देती है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह मृदंग की आवाज है।
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चार महान नदियों के स्रोतों से घिरा है कैलाश पर्वत :-
कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के चार दिक् बिंदुओं के समान है और यह एकांत स्थान पर स्थित है, जहां कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है। कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्रोतों से घिरा है- सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार हैं। पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है।
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