नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां मतदाताओं की निजता और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों की रक्षा करने के लिए पीडीएफ फॉर्मेट में प्रारूप मतदाता सूची प्रदान की जा रही है। चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश में मतदाताओं की तस्वीर के बिना पीडीएफ फॉर्मेट में मसौदा मतदाता सूची प्रदान करने को सही ठहराते हुए कहा कि ऐसा मतदाताओं के आंकड़े में हेरफ़ेर को रोकने के लिए किया गया।
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चुनाव आयोग ने याचिका के 'विचारणीय नहीं होने’, 'पूरी तरह महत्वहीन’ और 'अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग’ बताकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ द्वारा दायर याचिका को खारिज करने की मांग की। कमलनाथ ने मतदाता सूची में नामों के दोहराव का आरोप लगाया था। कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में वर्ड फॉर्मेट में मसौदा मतदाता सूची प्रदान नहीं करने के चुनाव आयोग के कदम पर आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग राजस्थान में वर्ड फॉर्मेट में ही उसे प्रदान कर रहा है। मतदाता सूची नियमावली का उल्लेख करते हुए ईसीआई ने याचिका के जवाब में कहा कि मसौदा सूची को मुख्य चुनाव अधिकारी की वेबसाइट पर पीडीएफ फॉर्मेट में डाला जा रहा है और इसमें सिर्फ विषय सामग्री रहती है और मतदाता की तस्वीरें नहीं रहती हैं।
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चुनाव आयोग ने कहा, ''प्रावधान में साफ तौर पर कहा गया है कि मसौदा मतदाता सूची मुख्य चुनाव अधिकारी की वेबसाइट पर पीडीएफ फॉर्मेट में डाली जानी चाहिये। प्रावधान के दूसरे हिस्से में साफ तौर पर कहा गया है कि मसौदा मतदाता सूची टेक्स्ट स्वरूप में डाली जानी चाहिए और उसमें मतदाता की कोई तस्वीर नहीं होनी चाहिये।’’
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शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को कांग्रेस नेता कमलनाथ और सचिन पायलट द्वारा दायर याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। पीडीएफ फार्मेट वह इलेक्ट्रानिक प्रारूप होता है जिसमें विषय सामग्री को केवल देखा जा सकता है जबकि वर्ड फार्मेट में विषय सामग्री को देखने के अलावा उसका सम्पादन भी किया जा सकता है।