नई दिल्ली। गरीबी से बच्चों को बाहर निकालने के संदेश को लेकर चलाए गए एक साहसी मिशन के तहत एक नाविक-साइकिल चालक की जोड़ी ने देश के पूरे पश्चिमी तट के थल और जल मार्ग से होते हुए 3,000 किलोमीटर की अपनी यात्रा की शुरआत की।
100 गरीब एवं वंचित बच्चों की मदद की मांग को लेकर 100 दिन के इस लंबे अभियान को एक नाविक कौस्तुभ खड़े और उनकी जोड़ीदार साइकिल चालक शांजलि शाही ने मिलकर एक गैर लाभकारी संगठन ‘मैजिक बस’ द्वारा चलाए गए ‘बचपन से आजीविका कार्यक्रम’ के सहयोग से शुरू किया है।
यह कार्यक्रम शिक्षा, लैंगिक समानता जैसे अति महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि युवाओं को बचपन से ही सभी मामलों में अपने सही विकल्पों को चुनने की आजादी मिलें जिससे उन्हें अपने मन का रोजगार मिल सके।
खड़े ने दो बार एशियाई चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और एशियाई ड्रैगन बोट चैंपियनशिप में दो रजत और एक कांस्य पदक जीता है। खड़े इस अभियान के तहत अरब सागर में नाव चलाकर अपने इस अभियान को अंजाम देंगे।
खड़े ने इस मौके पर कहा, ‘मैजिक बस अपने एक कार्यक्रम ‘बचपन से आजीविका’ के द्वारा वंचित बच्चों को गरीबी से बाहर निकालने को लेकर कार्यरत है। यही कारण है कि यह कार्यक्रम हो पा रहा है और मैं उनके लिए धन जुटा रहा हूं।’
इसी तरह की एक मुहिम उन्होंने पिछले साल भी चलायी थी जिसके तहत उन्होंने 17 दिनों में अरब सागर में 415 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय की थी। इसके साथ ही उन्होंने लिम्का रिकॉर्ड बुक में भी अपना नाम दर्ज कराया था।
तो वहीं दूसरी ओर शांजलि 3000 किलोमीटर से ज्यादा की सडक़ यात्रा पर निकलेंगी जिसमें वह पांच राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश से होते हुए भारत के पूरे पश्चिमी तट का भ्रमण करेंगी। -एजेंसी