नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक आदिवासी की कथित हत्या की आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुन्दर और अन्य की गिरफ्तारी से चार सप्ताह पहले उन्हें नोटिस दिए जाने का आज आदेश दिया।
न्यायाधीश मदन बी लोकुर और न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने सुश्री सुन्दर और अन्य को इस बात की छूट दे दी कि वे नोटिस मिलने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
न्यायालय का यह आदेश उस वक्त आया जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को आश्वस्त किया कि सुश्री सुन्दर, अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी एवं अन्य को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, न ही पूछताछ की जाएगी।
सुश्री नंदिनी ने याचिका में आरोप लगाया है कि आदिवासियों के अधिकारों की उनकी लड़ाई की वजह से छत्तीसगढ़ सरकार उन्हें निशाना बना रही है।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज और रिकॉर्ड सौंपने को कहा था।
उच्चतम न्यायालय ने नक्सली समस्या का शांतिपूर्ण समाधान न निकाल पाने के लिए केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की भखचाई की थी ।