समस्त पाप और बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए करें मां चंद्रघंटा की आराधना

Samachar Jagat | Tuesday, 04 Oct 2016 07:30:02 AM
navratri third day Chandraghanta worship

नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तृतीय शक्ति चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां का यह स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका शरीर स्वर्ण के समान उज्ज्वल है, इनके दस हाथ हैं। दसों हाथों में खड्ग, बाण आदि शस्त्र सुशोभित रहते हैं, इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने वाली है।

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इनके घंटे की भयानक ध्वनि से दानव, अत्याचारी, दैत्य, राक्षस डरते हैं, इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक को अलौकिक दर्शन होते हैं, दिव्य सुगन्ध और विविध दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं।

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मां चन्द्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं विनष्ट हो जाती हैं। इनकी अराधना सद्यः फलदायी है। इनकी मुद्रा सदैव युद्ध के लिए अभिमुख रहने की होती हैं, अतः भक्तों के कष्ट का निवारण ये शीघ्र कर देती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक की समस्त बाधाएं हट जाती हैं। भगवती चंद्रघंटा का ध्यान, स्तोत्र और कवच का पाठ करने से मणिपुर चक्र जाग्रत हो जाता है और सांसारिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

पूजा करते समय इस मंत्र का करें जाप :-

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम॥

 



 

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