कालाधन 50 फीसदी कर देकर सफेद

Samachar Jagat | Friday, 02 Dec 2016 04:51:36 PM
Black money by paying 50 percent white

भारी हंगामे और विपक्ष की नारेबाजी के बीच सरकार ने कालेधन से निपटने के लिए मंगलवार को आयकर कानून में संशोधन का विधेयक पेश किया और उसी दिन बिना बहस के पारित भी होगा। हालांकि यह कानून में संशोधन का विधेयक है, पर सरकार ने इसे धन विधेयक (मनी बिल) के रूप में पेश किया है, जिसके लिए राज्यसभा की मंजूरी अनिवार्य नहीं है, जहां सरकार अल्पमत में है।

 इस तरह लोकसभा से पारित होते ही विधेयक के कानून का रूप लेने का रास्ता साफ हो गया है। नोटबंदी जैसे सख्त कदम के बाद कालाधन रखने वालों को आखिरी मौका देने का सरकार का यह फैसला अहम है। कहा गया है कि जिन भी लोगों के पास ब्लैकमनी (कालाधन) है वे अगर स्वेच्छा से उसका खुलासा कर देते हैं तो उन्हें 50 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा और बाकी का आधा यानी 25 फीसदी चार साल के लिए जब्त हो जाएगा।

 इसके बाद बिना किसी ब्याज के यह धन उन्हें वापस कर दिया जाएगा। लेकिन काली कमाई घोषित करने वाले लोगों से न तो उनकी आमदनी का स्त्रोत पूछा जाएगा और नहीं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी। जो लोग अब भी अपना कालाधन जाहिर नहीं करते, वे बाद में पकड़े जाने पर बुरी तरह फंसेंगे। उनसे कर और जुर्माने के तौर पर 85 फीसदी रकम वसूली जाएगी और बाकी कार्रवाई होगी सो अलग।

 विरोधी दलों ने इसे स्वेच्छिक घोषणा (वालंट्री डिक्लेरेशन) स्कीम का ही विस्तार (एक्सटेंशन) करार देते हुए नोटबंदी के औचित्य पर सवाल उठाया है, लेकिन सच्चाई यह है कि नोटबंदी ने सरकार द्वारा घोषित इस नई स्वेच्छिक घोषणा योजना की अहमियत बढ़ा दी है। नोटबंदी लागू करने के तरीकों को लेकर जो भी सवाल उठाए जाएं, पर यह तो है कि इस फैसले ने नकदी की शक्ल के रूप में मौजूद कालेधन के बड़े हिस्से को कूड़े में बदल दिया है।

 इसको जैसे-तैसे सफेद कराने की इक्का-दुक्का कोशिशों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर लोग फंसने के डर से इस नई योजना का हिस्सा बनने के लिए शायद ही तैयार हों। जानकारों के मुताबिक कालेधन का करीब छह फीसदी हिस्सा ही कैश (नकदी) के रूप में होता है। ऐसे में जिन लोगों के पास करोड़ों रुपए अघोषित कैश पड़ा हो, उनके पास इससे कहीं ज्यादा कालाधन जमीन-जायदाद और सोने-चांदी के रूप में नहीं पड़ा होगा। 

यह मानने की कोई वजह नहीं है। अगर इन्होंने अपना कैश घोषित कर दिया और इसके एक चौथाई हिस्से से संतोष कर लिया तो भी जांच एजेंसियों की नजर में तो ये आ ही जाएंगे। बाद में ये एजेंसियां इनकी बाकी संपत्ति को भी निशाने पर ले सकती है। इन तत्वों को खुलासे के लिए प्रेरित या मजबूर करने के लिए जरूरी है कि सरकार नोटबंदी के साथ ही कुछ ऐसे भी उपाय करे, जिनसे इनकी बेनामी संपत्ति और सोना-चांदी भी निशाने पर आते दिखें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि आयकर कानून में संशोधन का विधेयक कालेधन को सफेद करने का मौका देने के लिए नहीं बल्कि गरीबों के लूटे गए धन को वापस लाने के लिए लाया गया है।

 लोकसभा में सोमवार को संशोधन विधेयक पेश होने के बाद ऐसी धारणा बनाई गई कि मोदी सरकार ने लोगों को कालाधन घोषित करने का एक और अवसर दिया है। ऐसी समझ विधेयक के दो प्रावधानों से बनी। 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद देश भर में बड़ी संख्या में लोग 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों के रूप में अपना धन बैंकों में जमा करा रहे हैं। संशोधन विधेयक में प्रावधान है कि इस दौरान ढ़ाई लाख रुपए से ज्यादा जमा कराई गई रकम का अध्ययन आयकर अधिकारी करेंगे। शक होने पर वे नोटिस जारी करेंगे। चूंकि सरकार की तरफ से कहा गया कि खुद खुलासा करने वालों को धन कर तथा दीवानी एवं अन्य कर अधिनियमों में छूट मिलेगी, अत: नए प्रावधान को कालेधन को सफेद करने की नई योजना के रूप में देखा गया।

 इस पर कुछ हलकों से सवाल उठाया गया कि कालाधन रखने वालों को फिर मौका देना था, तो नोटबंदी से आमजन के लिए परेशानी क्यों खड़ी की गई? संभवत: इसी का जवाब मंगलवार को प्रधानमंत्री ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में दिया। यहां यह बता दें कि गरीब कल्याण उपकर तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के लिए आयकर कानून में प्रस्तावित नए प्रावधानों के साथ यह स्पष्ट किया गया है कि इससे राजकोष में जो धन आएगा, उसे सिंचाई, आवास, शौचालय, बुनियादी ढांचा विकास, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य एवं आजीविका मुहैया कराने के लिए संबंधित कार्यक्रमों पर खर्च किया जाएगा।

 लेकिन इस खुलासे के जरिए कितनी रकम आएगी इसके बारे में फिलहाल कुछ भी अनुमान लगा पाना कठिन है। आगे देखने वाली बात यह होगी कि गरीब कल्याण कोष में वास्तव में कितनी रकम आती है? इस तरह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की जो तजवीज निकाली गई है, फिर भी प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा करते समय साफ किया था कि निशाना अवैध धन जमा कर बैठे लोगों पर है। उन्होंने कहा था कि शुरुआत में आमजन को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अंतत: इस कदम से उन्हें लाभ होगा। अब पकड़े जाने वाले कालेधन का एक हिस्सा गरीब कल्याण योजनाओं पर खर्च करने का इरादा दिखाकर सरकार ने उस घोषणा को साकार करने की दिशा में कदम उठाया है।



 

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