जकार्ता। इस सप्ताह के आखिर में शुरू होने जा रहे एशियाई खेलों में भारत की पदक उम्मीदों पर दृष्टिपात :
कुश्ती :
बजरंग पूनिया : हरियाणा के इस 24 बरस के पहलवान ने इंचियोन में रजत पदक जीता था। शानदार फार्म में चल रहा यह पहलवान 65 किलो फ्रीस्टाइल में पदक का दावेदार है और इस साल तीन टूर्नामेंट जीत चुका है। गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण के अलावा उन्होंने जार्जिया और इस्तांबुल में दो टूर्नामेंट जीते।
सुशील कुमार : भारत के सबसे सफल ओलंपियन में से एक सुशील पर अतिरिक्त दबाव होगा जो जार्जिया में फ्लाप रहे थे। जार्जिया में नाकामी के बाद लोग सवाल उठाने लगे कि एशियाड ट्रायल से उन्हें छूट क्यो दी गई। दो बार के ओलंपिक पदक विजेता अपना चिर परिचित फार्म दिखाने को बेताब होंगे।
विनेश फोगाट : रियो ओलंपिक में पैर की चोट की शिकार हुई विनेश वापसी कर रही है। उसने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और मैड्रिड में स्पेन ग्रां प्री जीती। वह 50 किलो में पदक की प्रबल दावेदार होंगी।
बैडमिंटन :
पी वी सिधू : विश्व चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता पी वी सिधू से काफी उम्मीदें है। उसे नांजिग में कैरोलिना मारिन से मिली हार को भुलाकर खेलना होगा। चार बड़े फाइनल हार चुकी सिधू पर इस कलंक को धोने का भी दबाव है।
साइना नेहवाल : भारत में बैडमिंटन की लोकप्रियता का ग्राफ उठाने वाली साइना लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। उन्हें विश्व चैम्पियनशिप में जिस तरह से मारिन ने हराया, वह अच्छा संकेत नहीं है। लेकिन उनके अनुभव और क्षमता को देखते हुए वह पदक की बड़ी उम्मीद है।
के श्रीकांत : राष्ट्रमंडल खेल रजत पदक विजेता श्रीकांत पुरूष एकल में भारत की अकेली उम्मीद हैं। अप्रैल में नंबर एक की रैंकिग हासिल करने वाले श्रीकांत को चीन, इंडोनेशिया और जापान के खिलाड़ियों से कड़ी चुनौती मिलेगी।
निशानेबाजी :
मनु भाकर : हरियाणा की 16 बरस की इस स्कूली छात्रा ने पिछले साल जबर्दस्त प्रदर्शन करके सुर्खिया बंटोरी। आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मनु सबसे युवा भारतीय निशानेबाज बनी। उसने राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा जीता और 10 मीटर एयर पिस्टल में प्रबल दावेदार हैं।
एथलेटिक्स :
हिमा दास : असम के एक गांव की 20 बरस की इस लड़की ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में छठा स्थान हासिल किया था। वह आईएएएफ ट्रैक और फील्ड स्पर्धा में 400 मीटर में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय बनी।
नीरज चोपड़ा : इस युवा भालाफेंक खिलाड़ी के कद का अहसास इसी से हो जाता है कि यह भारतीय दल के ध्वजवाहक हैं। अंडर 20 विश्व चैम्पियनशिप 2016 में स्वर्ण जीतने वाले नीरज ने राष्ट्रमंडल खेलों में इस कामयाबी को दोहराया। उसने दोहा में आईएएएफ डायमंड लीग में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। पिछले चार टूर्नामेंटों में से तीन में वह स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
टेनिस :
रोहन बोपन्ना और दिविज शरण : कंधे की चोट से उबरे रोहन बोपन्ना अगर अपनी क्षमता के अनुरूप खेल सके तो दिविज के साथ युगल में पदक के दावेदार होंगे।
रामकुमार रामनाथन : युकी भांबरी की गैर मौजूदगी में भारत की उम्मीदों का दारोमदार रामनाथन पर होगा। न्यूपोर्ट एटीपी टूर्नामेंट में फाइनल तक पहुंचे रामनाथन ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था।
मुक्केबाजी :
शिवा थापा : पुरूषों के 60 किलो वर्ग में थापा एशियाई खेलों में पहला पदक जीतने की कोशिश में होंगे। एशियाई चैम्पियनशिप में लगातार तीन पदक जीतकर उनका आत्मविश्वास बढा है।
सोनिया लाठेर : एम सी मेरीकाम की गैर मौजूदगी में विश्व चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता सोनिया भारतीय महिला टीम की अगुवाई करेगी। वह 57 किलो वर्ग में प्रबल दावेदार हैं।
जिम्नास्टिक :
दीपा करमाकर : घुटने की चोट के कारण राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर रही दीपा ने तुर्की में विश्व चैलेंज कप में स्वर्ण जीतकर वापसी की। रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रही दीपा पदक की प्रबल दावेदार हैं।
टेबल टेनिस :
मनिका बत्रा : गोल्ड कोस्ट में स्वर्ण पदक जीतने वाली मनिका राष्ट्रमंडल खेलों की स्टार रही। जकार्ता में प्रतिस्पर्धा अधिक कठिन होगी लेकिन वह भी पूरी तैयारी के साथ गई है।
एजेंसी