भारतीय शेयर बाजार का सबसे बड़ा, प्रतिष्ठित और एशिया महाद्वीप का सबसे पहला स्टॉक मार्केट बंबई स्टॉक एक्सचेंज, ऐसी कई उपलब्ध्यिों से परिपूर्ण है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज का मानद सूचकांक (इंडेक्स) सेंसेक्स पूरी दुनिया के शेयर (पूंजी ) बाजारों में विशेष और श्रेष्ठ महत्व रखता है। सवा सौ साल से अधिक पुराना इतिहास रखने वाला यह स्टॉक एक्सचेंज विश्वविख्यात है। भारतीय शेयर बाजार के दो बड़े और प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं, बंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज दोनों स्टॉक मार्केट की भारतीय पूंजी बाजार यानि इंवेस्टमेंट मार्केट में अहम भूमिका है। देश के दोनों स्टॉक एक्सचेंज को भारतीय अर्थव्यवस्था और पूंजी बाजार की नींव कहें तो गलत नहीं होगा।
भारतीय शेयर बाजार की बात करें तो पिछले तीन सत्रों से शेयर बाजार अपने उच्चतम स्तर पर है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सूचकांक सेंसेक्स की बात करें तो पिछले तीन दिनों में सेंसेक्स ने उच्चतम स्तर पर पहुंचकर अपने आल टाइम हाईलेवल को पार कर लिया। जिसकी गूंज पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में सुनाई दी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत के समय मुंबई को बॉम्बे, बंबई नाम से जाना जाता था) भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 1 9वीं सदी के भारतीय व्यापारी प्रेमचंद रॉयचंद ने की थी। प्रेमचंद को कॉटन किंग और बुलियन किंग जैसे नामों से जाना जाता था। प्रेमचंद रॉयचंद सूरत के व्यापारी रॉयचंद दीपचंद के बेटे थे। रॉयचंद परिवार सहित मुंबई में बस गए थे। फर्राटेदार अंग्रेजी लिखने और बोलने में माहिर प्रेमचंद ने 1849 से स्टॉक ब्रोकर के काम की शुरुआत की। कपास और बुलियान कारोबार में काफी रुचि होने के कारण उन्होंने इस क्षेत्र में व्यापार कर भारतीय बाजार में काफी दबदबा बनाया। उन्होंने शेयर और स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन की स्थापना की, जिसे बाद में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के रुप में पहचान मिली। इस तरह प्रेमचंद रॉयचंद बंबई स्टॉक एक्सचेंज के संस्थापक की भूमिका निभाई।
भारत का यह स्टॉक एक्सचेंज सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या तथा बाजार पूंजीकरण के संदर्भ में विशाल है। बीएसई ने भारतीय पूंजी बाजार में प्रणेता की भूमिका निभाई है। अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार के अस्तित्व और नियम आने से पूर्व ही बीएसई ने भारतीय पूंजी बाजार के लिए अपना व्यापक नियम और नियमन बना लिया था। आजादी के बाद ही इस एक्सचेंज ने भारतीय पूंजी बाजार के लिए बहतरीन व्यापारिक परंपराएं स्थापित की थी। जिसे दुनिया के पूंजी बाजारों ने सराहा और बीएसई के काम का लोहा माना।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सिक्युरिटीज कांट्रेक्ट रेग्युलेशन एक्ट 1956 के तहत स्थाई मान्यता मिली है। मैनेजिंग डायरेक्टर के नेतृत्व में डायरेक्टर्स बोर्ड द्वारा एक्सचेंज का संचालन होता है। इस बोर्ड में प्रतिष्ठित प्रोफेशनल्स, ट्रेडिंग सदस्यों के प्रतिनिधियों और सार्वजनिक प्रतिनिधियों का समूह इसके परिचालन में अहम भूमिका निभाता है। भारत में शायद ही ऐसी कोई कंपनी होगी जिसने पूंजी सर्जन के लिए बीएसई की सेवा नहीं ली हो। बीएसई भारत में कैपिटल मार्केट का प्रतीक माना जाता है। बीएसई सेंसेक्स देश के अर्थतंत्र और वित्त बाजार की गतिविधियों को प्रतिबिम्बित करता बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समकक्ष रहकर बीएसई अनेक क्षेत्रों में प्रणेता रहा है।
वर्ष 2002 में स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई का नाम बदल कर बीएसई कर दिया गया। बीएसई ने भारत में सिक्युरिटीज (प्रतिभूति) ट्रेडिंग प्रस्तुत की, ट्रेडिंग रिंग (शेयर लिस्टिंग के दौरान घंटा बजाने की परंपरा) की परम्परागत शेयर क्रय विक्रय पद्धति के स्थान पर बीएसई आनलाईन ट्रेडिंग (बोल्ट) के माध्यम से 1995 में ओटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम शुरुआत हुई। 1997 तक यह नेटवर्क पूरे देश में अपनी शक्ल ले चुका था। 18 फरवरी 2002 से नए इतिहास की शुरूआत हुई, जब टेलीवेंचर्स लि. के शेयर लिस्टिंग की शुरुआत बीएसई के इंटरनेशनल कन्वेंशन हॉल में रिंगिंग समारोह के साथ हुई। यह परंपरा आज भी आधुनिक युग के बीएसई में यथावत जारी है।