मुंबई। प्रतिभूति बाजार को बल देने के लिए बाजार नियामक सेबी ने आज स्टार्टअप के लिए फंडिंग नियमों में ढील दी और असूचीबद्ध कारपोरेट बांडों में विदेशी निवेश की अनुमति दी। इसके साथ ही निजी इक्विटी कोषों तथा सूचीबद्ध कंपनियों के प्रवर्तकों पर आपस में गोपनीय तरीके से मुनाफा भागीदारी के लिए करार करने पर रोक लगा दी है।
अल्पांश निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कड़ा ढांचा पेश करते हुए सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों व उनके आला अधिकारियों को शेयरधारकों की मंजूरी के बिना निजी इक्विटी फंडों के साथ लाभ में हिस्सेदारी समझौता करने से रोक दिया है। इस तरह के समझौते के लिए अब कंपनी के निदेशक मंडल व आम शेयरधारकों से मंजूरी लेनी होगी।
सेबी के निदेशक मंडल की आज हुई बैठक में इन कदमों को मंजूरी दी गई। यह कदम और अधिक निवेशकों को आकर्षित करने तथा पूंजी बाजार का दायरा बढाने के लिए उठाया गया है।
सेबी ने स्टार्ट-अप कंपनियों में निवेश को बढ़ावा देने के उद्येश्य से इस क्षेत्र में एंजल निवेशकों के लिए नियमों में ढील दी है। इसके तहत नए व्यावसायिक विचारों को सहारा देने वाले ऐसे निवेशक अब पांच साल तक पुरानी इकाइयों में पूंजी लगा सकेंगे। इसके तहत एंजल निवेशकों के लिए स्टार्ट-अप कंपनी में निवेश बनाए रखने की न्यूनतम अनिवार्य अवधि तीन साल से घटा कर एक साल कर दी है। इसी तरह उनके लिए न्यूनतम निवेश की सीमा भी 50 लाख रुपए से घटा कर 25 लाख कर दी गई।
सेबी ने एक योजना में एंजल निवेशकों की अधिकतम संख्या 49 से बढ़ा कर 200 कर दी है।
एक अन्य कदम के तहत सेबी ने पूंजी बाजार को व्यापक बनाने के मकसद से एफपीआई विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को असूचीबद्ध कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों तथा बिना गारंटीशुदा ऋण-पत्रों में निवेश की मंजूरी देने का आज फैसला किया। इसमें 35,000 करोड़ रुपए की सीमा लगाई गई है।
एफपीआई नियमन में संशोधन के तहत एफपीआई को असूचीबद्ध गैर-परिवर्तनीय डिबेचंर्स तथा गारंटीशुदा ऋण-पत्रों में निवेश की अनुमति होगी। रिजर्व बैंक ने भी हाल ही में अपने नियमों में संशोधन करते हुए एफपीआई द्वारा इस प्रकार के निवेश की अनुमति दी थी।
इससे पहले, सेबी बोर्ड ने सितंबर में बेहतर तरीके से नियमित एफपीआई को कॉर्पोरेट बांड में सीधे कारोबार की अनुमति दी थी। इसके लिए उन्हें किसी ब्रोकर या अन्य मध्यस्थ के पास जाने की जरूरत नहीं है।
फिलहाल असूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों में निवेश की अनुमति उसी स्थिति में है जब कंपनी बुनियादी ढांचा क्षेत्र में हो। वहीं एफपीआई द्वारा गारंटीशुदा ऋण-पत्रों में निवेश की कोई मंजूरी नहीं थी।