पेशाब की थ्ौली में चने की साइज की पथरी थी, ठीक होने का दावा कर भ-भूती खिलाता रहा
जयपुर। पथरी और उनके उपचार के मामले सामान्य है। एक नहीं ढेर सारे केसेज देखने को मिल जाएंगे।
मगर यह मामला नीम हकीम की करतूत से जुड़ा है, जिसमें एक फर्जी वैद्य ने पचास वर्षीय महिला के उपचार को लेकर उसे ठग लिया। महिला को पेट में तेज दर्द की परेशानी थी। देहात के माहौल को देखते हुए वह इसका घरेलु उपचार करवाती रही। मगर इस पर कोई फायदा ना होने पर गांव के निकट क्लिनिक चलाने वाले एक फर्जी वैद्य को दिखाया।
बिना किसी जांच के उसने बीमार महिला की पेशाब की नली में पथरी होने की संभावना व्यक्त की और पेशाब के रास्ते से उसे बाहर निकालने के लिए तरह- तरह के चूर्ण देता रहा । छ: माह गुजर जाने के बाद भी जब महिला की पेशाब की थ्ौली से पथरी नहीं निकली तो उसने हकीम बाबू को खरी- खरी सुनाई। गांव के बुजुर्गो ने वैद्य जी को पंचायत मेंं बुला लिया। ऐसे में वह बोला कि यहां यह बीमार महिला रोगी दोषी है, जो मेरे द्बारा दी गई दवा का ठीक से सेवन नहीं कर रही है। ऐसे में पथरी का निकलना संभव नहीं हो सकता।
कुछ दिनों तक यही उपचार चलता रहा। तभी महिला के पेशाब में ब्लड आना शुरू होगया। महिला चंद्रवती के पति ने बताया कि सही उपचार ना होने पर उनकी प‘ि की हालत में लगातार गिरावट आती रही। तभी गांव के एक शिक्षक की सलाह पर वे उसे लेकर मथुरा के एक बड़े चिकित्सालय गए। कई तरह की जांचे होने के बाद भी कहीं भी स्टोन नजर नहीं आया।
मथुरा के बाद चंद्गवती के केस में आगरा, अलवर और जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के वरिष्ठ यूरोलोजिस्ट की सलाह ली गई । एमआरआई हुई । ऐसे में उसकी पेशाब की नली में स्टोन का छोटा सा टुकड़ा नजर आ गया। यह स्टोन कब बना, कैसे फंसा, इसकी तो जानकारी नहीं मिल पाई मगर ऑपन सर्जरी से पथरी को बाहर निकाल दिया।
इस पर भी पेसेंट के यूरीन में ब्लड नहींे रूक पाय। यहां मैडिसीन शाखा के चिकित्सकों ने अपनी पड़ताल में बताया कि नीम हकीम के द्बारा जो चूर्ण दिया गया था, वह वास्तव में कोई राख की भ- भूती थी। स्टोन के साथ वह भी पेसेंट की पेशाब की नली मंें फंसी रह गई।
इसी से उसे कोई बड़ा खतरनाक इनफेक्सन हो गया। अब हालत यह है कि छ: साल गुजरने के बाद भी उसकी दवाएं बंद नहीं हुई है। सात दिनांें मंें एक बार उसे आज भी ईलाज को लेकर जयपुर आना पड़ रहा है।