City News: बचपन से ही दोनों किडनियां खराब थी, तीस साल बाद पता चला

Samachar Jagat | Saturday, 27 Aug 2022 02:08:43 PM
Both kidneys were bad since childhood, it was found after thirty years

जयपुर। किडनियों से संबंधित रोग छिप कर वार नहीं करते। कुछ ही समय बाद किसी ना किसी स्वास्थ्य समस्या के चलते इसका पता चल जाता है। मगर मथुरा से यहां आए तीस वर्ष के युवक का मामला अपने आप में विचित्र है। तीन साल की उम्र में परिजनों को उसकी किडनी की बीमारी का अहसास हो गया था। मगर उन्होने चिकित्सको की सलाह नहीं मानी। देखते ही देखते वह डायलेसिस पर डिपेंड हो गया। आज हालत यह हो चुकी है कि दिन में तीन बार उसका डायलेसिस हो रहा है। किडनियां खराब होने के चलते उसके शरीर मं यूरिया के जहर की मात्रा काफी अधिक हो गई है। यही नहीं पेशाब के रास्ते से प्रोटीन भी निकलने लगा है। हालत इस कदर चिंताजनक हो गई है कि उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा है।

किडनी डेमेज का यह पेसेंट आदित्य सैनी मथुरा का रहने वाला है। इंटर पास करने के बाद अब आगे की पढाई करने की मंशा करता है। कहने को वह इंटेलिजेंट है। प्रतियोगी परीक्षा में बैठने की तैयारियां करने के लिए इन दिनों जयपुर में ही रहा करता था। मगर यही उससे भी चूक हो गई। समय पर दवाएं और डायलेसिस ना हो  रही है। आदित्य के पिता जो कि सवाई मानसिंह अस्पताल की किडनी उपचार ईकाई में उसकी देखभाल कर रहे हैं। अपने पुत्र के स्वास्थ्य को लेकर वे बताते हैं कि जन्म के समय से ही उसे पेशाब की शिकायत हो गई थी। तभी चिकित्सकों ने सचत कर दिया था कि यह पेशानी खतरनाक है। आगे जाकर उसकी कि डनियों को खराब हो सकती है।

चिकित्सकों का कहना यह भी है कि आदित्य को किडनी की परेशानी से बचाया जा सकता था, ऑपरेशन की मदद से उसकी पेशाब की थ्ली को बाहर निकाल कर वहां यूरिन की थैली लगाकर उसकी जिंदगी को सुरक्षित किया जा सकता था, तब पिता ने मना कर दिया। उनका कहना था कि कैथडर से यूरिन इंफेक्सन हो सकता है। वे चाहते हैं कि उसे डायलेसिस पर ही रखा जाए, हो सकता है कि ईश्वर की कृपा से उसकी हालत में सुधार आ जाए।

परिजनों की लापरवाही के चलते आदित्य की पेशाब की नली में कोई टयूमर हो गया था। दिनों- दिन उसका साइज बढने पर पेशाब फिर से किडनी में पहुंच कर उसे नुक्सान पहुंचा रहा था। आदित्य की बीमारी की जानकारी के लिए उसके यूरिनरी सिस्टम में मौजूद टूमर की बायप्सी की गई। दो अस्पतालों की रिपोर्ट में उसे कैंसर का टूमर दूसरी स्टेज पार बताया गया था। एक के बाद एक स्वास्थ्य समस्या को लेकर आदित्य हिम्मत हार चुका है। देखा जाए तो परेशानी बढाने के लिए किडनी इंफेक्शन ही काफी था।

मगर उसका शरीर बीमारियों का गोदाम बन चुका था। शारीरिक व मानसिक परेशानी के चलते वह मौत के मुंह के निकट पहुंच सकता था। यहां समस्या आर्थिक भी हो चुकी थी। पिता किसी निजी कंपनी में काम करते हैं। परिवार में जो पैसा जोड़ा गया था, इस रोग के इलाज में खर्च हो गया था। समय- समय पर उसे ब्लड की भी आवश्यकता हो जाती है। ब्लड डोनर का इंतजार करता रहता है। आदित्य की हालत इस कदर चिंताजनक हो चुकी गई है कि उसने चारपाई ही पकड़ ली है। भोजन ना कर पाने पर उसके शरीर का वजन लगातार गिरता जा रहा है। कमजोरी के चलते बड़ी मुश्किल से आंख् खोलता है। पिता की आवाज पर वह कुछ कहना चाहता है। मगर बेबसी ने उसे इस लायक भी नहीं छोड़ा है। किडनी ट्रांसप्लांट की बात जब लिंगरऑन हो जाती है तो वह उदास होकर आंसु बहाने लगता है। मगर अपने दुख को बयां नहीं कर पा रहा है।

 



 

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