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देश में मुफ्त राशन, बिजली, पानी जैसी योजनाएं, जो अब तक कई लोगों की जिंदगी को आसान बना रही थीं, अब खतरे में हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में इन योजनाओं को बंद करने की मांग की गई है। अदालत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और इसके संभावित नतीजों पर विचार कर रही है।
मुफ्त योजनाओं पर सवाल
सरकार द्वारा दी जाने वाली फ्री योजनाएं, जैसे फ्री राशन, बिजली, और बस सेवा, चुनावी वादों का अहम हिस्सा बन चुकी हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये योजनाएं मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए "रिश्वत" की तरह काम करती हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करती हैं।
केंद्र और राज्य की योजनाएं विवाद में
- केंद्र की मुफ्त राशन योजना: लगभग 80 करोड़ लोगों को लाभ मिलता है।
- राज्य सरकार की योजनाएं: मुफ्त बिजली, किसानों के लिए सब्सिडी, महिलाओं और युवाओं के लिए आर्थिक सहायता और मुफ्त लैपटॉप जैसी सुविधाएं।
यदि सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई, तो करोड़ों लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
महिलाओं और युवाओं पर असर
महिलाओं की लाडली बहना योजना और लक्ष्मी भंडार योजना, युवाओं के लिए मुफ्त टैबलेट और लैपटॉप जैसी योजनाएं भी इस बहस का हिस्सा हैं। चुनावी मौसम में इन योजनाओं ने राजनीतिक दलों को बढ़त दिलाई है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए सुनवाई का निर्णय लिया है। यदि अदालत इन योजनाओं पर रोक लगाती है, तो यह राजनीतिक दलों और जनता दोनों के लिए एक बड़ा बदलाव होगा।
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