जयपुर। राजस्थान की आम आदमी पार्टी ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) पर स्कूल व्याख्याता परीक्षा 2015 में भारी घपलेबाजी कर लाखों बेरोजगार युवकों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। आम आदमी पार्टी के राजस्थान प्रभारी एवं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मामला बेहद संगीन है।
आरपीएससी ने खुद मान लिया है कि प्रश्नपत्र तैयार करने वाली एक्सपर्ट्स की टीम नाकारा थी। टीम को हटा भी दिया, फिर भी, परीक्षा व परिणामों को निरस्त करने की बजाय नियम विरुद्ध पास किए गए अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दे दी गई है। हालांकि अदालत ने और नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। आरपीएससी गलती सुधारने की बजाय मामले को अदालत खींच रही है और गलत नियुक्तियां देने पर आमादा है। इस प्रकरण के उजागर होने के बाद राज्य के करोड़ों बेरोजगार युवक निराशा और बेचैनी है और आरपीएससी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
4.5 लाख युवकों ने 13०98 पदों पर लिया था हिस्सा
सिसोदिया ने कहा कि राजस्थान आम आदमी पार्टी आरपीएससी के इस भ्रष्ट आचरण और मनमानी के खिलाफ संघर्ष कर रहे राज्य के शिक्षित बेरोजगारों के साथ है और हर संभव मदद करेगी। स्कूल व्याख्याता परीक्षा-2015 से 13098 पद भरे जाने हैं। परीक्षा में करीब 4.5 लाख युवकों ने हिस्सा लिया था। अदालत के स्थगन आदेश से पहले आरपीएससी ने करीब 300 पदों पर नियुक्तियां कर डाली जबकि मास्टर की-आनसर सीट जारी करने की जरुरत ही नहीं समझी गई।
सिसोदिया ने कहा कि व्याख्याताओं की चयन प्रक्रिया में नियमों को पूरी तरह ताक पर रख दिया गया। लाख मनमानी करने, परीक्षा और उसके परिणाम निकालने की स्थापित प्रक्रिया का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। को ताक में रख कर चहेतों राज्य के शिक्षित बेरोजगार के भविष्य से खेलने का आरोप लगाया है।
दो साल पहले उत्तर कुछ और बाद में कुछ और
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने सवाल उठाया कि क्या कभी ऐसा हुआ है कि एक प्रश्न का दो साल पहले उत्तर कुछ हो और दो साल बाद कुछ और । लेकिन आरपीएससी ने यह कारनामा कर दिखाया। चोरी पकड़ी गई तो उन प्रश्नों को हटाकर माîकग केलकुलेट कर ली गई और आपत्तियों का निराकरण करने पहले ही बिना मास्टर की-आनस्वर शीट जारी करने से पहले ही रिजल्ट निकाल दिए। इस तरह योग्य अभ्यर्थियों को नौकरी पाने के अवसर से वंचित कर दिया गया।
आश्चर्यजनक बात यह है कि पहली बार उत्तर को चैलेंज करने वालों से प्रति आपत्ति 100 रुपए की फीस मांगी गई ताकि आपत्ति कम से कम हों। इसके बावजूद सैंकड़ों आपत्तियां दर्ज की गई जिससे जाहिर होता है कि बेराजगार का विरोध कितना तीव्र है। सिसोदिया ने कहा कि आरपीएससी अपनी गलती माने और दुबारा परीक्षा कराये। जो नियुक्तियां दे दी गई हैं उन्हें निरस्त किया जाए और अदालत के बाहर मामले को निपटाए ताकि युवकों का बहुमूल्य समय अदालतों के चक्कर में बर्बाद न हो ।