जयपुर। देखा जाय तो आज के जमाने में बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है,मगर सच तो यह भी है कि घर में बेटी का जन्म होने पर काफी दूर की सोचना पड़ता है। बेटी की सुरक्षा और उसके कुशल भविष्य को लेकर प्लान बनाना पड़ता है। मगर यह मामला कुछ ज्यादा ही परेशान करने वाला है।
जयपुर के एक मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल कि नवजात इकाई की सघन उपचार में कोई दो दर्जन नवजात बच्चे कोई न कोई मुसीबत को लिए। इन बच्चों में एक नवजात बच्ची की ओर नजर घूमती है। बड़ा ही अजीब केश है। डॉक्टरों की टीम इसे घेरे हुए है। आपस में विचार चिंतन चल रहा है।
बच्ची का चेहरा विचित्र है।
उसकी बाईं आंख हमेशा खुली रहती है। कहने का मतलब यह की इस आंख की पलके काम नहीं करती है। आंख के चारों ओर की मांस पेसियां सूजन से घिरी होने के साथ गहरा नीला रंग लिए है। उसका उपर वाला होठ कटा हुवा है। बाएं साइड वाला पांव और हाथ भी विकृत है,इनको भी सर्जरी की आवश्यकता है। जिसे बच्चों के खास सर्जन की जरूरत होती है। याने हर कोई नहीं कर सकता है। बच्ची के मां बाप का जहां तक सवाल है,आनंदी श्याम है। पिता विश्रम है। वे छत्तीसगढ़ के कबीर धाम के रहने वाले है। छोटे काश्त कार है। किसी तरह अपना गुजारा कर रहे है।
इनका उपचार करने वाले सर्जन का नाम गुरपाल सिंह छाबड़ा और डा असीस है। चिकित्सकों का कहना है, बच्ची का केस उलझा हुवा है। कई ऑपरेशन करने होंगे। जाहिर है कि इसमें काफी पैसा चाइए। कमसे कम सात लाख रुपए। कहां से आएगा इतना पैसा। पहले ऑपरेशन के लिए किसी तरह पैसे जुटाए। सारी बचत लगाई। जिसमें केवल आंख की सर्जरी हो सकी। दूसरे ऑपरेशन में पांव की सर्जरी की जानी थी। रुपया चाहिए था तीन लाख। पास में पैसा हो तो बात करो। वरना जय श्री राम। क्या करते। बच्ची के भाग्य से इस केस में देश की जानी मानी सेवा भावी संस्था से संपर्क हो गया।
संस्था ने इस बच्ची के लिए देश भर में अभियान चलाया हु वा है। इसके अलावा समाचार जगत पोर्टल की टीम के एक्सोसाठ सदस्यों ने भी जयपुर के दान दाताओं से अपील की है। इस पर कुछ लोगों ने इस मामले में जानकारी चाही है। इसके अनुसार बच्ची के बारे में जो जानकारी दी गई है वह क्या जुनून है। या विश्वास करने वाली है। इस पेसेंट के परिजन से वे मिलना चाहते है। उन से किस तरह संपर्क किया जा सकता है। इस कैंपेन में कीटो संस्था का क्या रोल है। पीसेंट को किस तरह की मदद चाहिए। इसमें भुगतान का क्या माध्यम रहेगा। इसमें कम से कम कितनी राशि दान में दी जा सकती है। पेटेंट के उपचार का फॉलोअप हमें किस तरह मिलेगा। ताकि हमें पता चल सके। इस बारे में पोर्टल की टीम पू री तरह समर्पित है। प्रयास चल रहे है।