Odisha के संतों ने सूर्य ग्रहण के दौरान सामुदायिक भोज की निंदा की

Samachar Jagat | Friday, 28 Oct 2022 10:20:57 AM
Saints of Odisha condemn community feast during solar eclipse

भुवनेश्वर : ओडिशा में संतों और धर्मगुरुओं ने सूर्य ग्रहण के दौरान भुवनेश्वर में कुछ लोगों की ओर से एक सामुदायिक भोज में मुर्गे की बिरयानी परोसने की घटना पर रोष जताया है। खुद को तर्कवादी बताने वाले लोगों के एक समूह ने 'अंध विश्वास’ को तोड़ने के लिए इस भोज का आयोजन किया था।

कुछ धार्मिक संगठनों ने 'तर्कवादियों’ के खिलाफ पुरी और कटक के अलग-अलग थानों में कम से कम चार प्राथमिकी दर्ज कराई हैं। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, “वे अज्ञानी हैं। उनके कार्य सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं। ग्रहण के दौरान उन लोगों द्बारा खाया गया भोजन (चिकन बिरयानी) उनके जीवन का अभिशाप हो सकता है।”उन्होंने कहा कि जो लोग बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन कर नए सिद्धांत गढ़ते हैं, वे 'अपने जीवन और बड़े पैमाने पर समाज को नुकसान पहुंचाते हैं।’

संत ने कहा, “नियम और परंपराएं भारतीयों के दर्शन, विज्ञान और सामाजिक व्यवहार के आधार पर बनाई गई हैं। ये बताती हैं कि किस समय क्या खाया जाना चाहिए।” प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु पद्म श्री बाबा बलिया ने भी 'तर्कवादियों’ के कृत्य की निदा की, जिन्होंने मंगलवार को 'सूर्य ग्रहण के दौरान उपवास की परंपरा को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी थी।’ उन्होंने कहा, “कोई किसी को खाना खाने से नहीं रोक सकता। लेकिन, समाज को गुमराह करना स्वस्थ संस्कृति नहीं है। सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान खाली पेट रहने की प्रथा विज्ञान पर आधारित है।”

इस बीच, 'तर्कवादियों’ ने कहा कि वे आठ नवंबर को होने वाले चंद्र ग्रहण के दौरान भी ऐसा ही करेंगे। उत्कल विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर प्रताप रथ ने कहा, “मैं जो मानता हूं, उसके साथ खड़ा हूं। जो कुछ भी विज्ञान पर आधारित नहीं है, उसका पालन नहीं किया जाना चाहिए। मैंने बचपन से ग्रहण के दौरान खाना खाया है और आगे भी ऐसा करता रहूंगा।” 66 वर्षीय रथ ने कहा, “मैंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है या फिर संविधान के खिलाफ काम नहीं किया है।” 



 

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