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जयपुर – भारत की सुरक्षा व्यवस्था को एक बार फिर अंदर से तोड़ने की कोशिश पकड़ी गई है। राजस्थान पुलिस की खुफिया शाखा ने एक नौसेना भवन में कार्यरत क्लर्क को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी का नाम विशाल यादव है, जो हरियाणा के रेवाड़ी जिले के पुनसिका गांव का रहने वाला है। हैरानी की बात यह है कि इस जासूसी कांड के पीछे एक रहस्यमयी महिला का नाम सामने आया है – प्रिया शर्मा। लेकिन क्या यह महिला असली है?
“प्रिया शर्मा” – हनीट्रैप का डिजिटल चेहरा
जांच में सामने आया है कि “प्रिया शर्मा” नाम की यह महिला वास्तव में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की महिला हैंडलर है, जो फर्जी भारतीय नाम और प्रोफाइल का इस्तेमाल करके देश के रक्षा अधिकारियों को निशाना बनाती है। सोशल मीडिया, खासकर Facebook, पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर वह बातचीत शुरू करती है और फिर समय के साथ संबंध गहरे बनाकर संवेदनशील जानकारी हासिल करती है।
विशाल यादव भी इसी जाल में फंसा। फेसबुक पर दोस्ती के बाद, उसे धीरे-धीरे “ऑपरेशन सिंदूर” से जुड़ी सैन्य जानकारी साझा करने के लिए तैयार किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी लीक
“प्रिया शर्मा” द्वारा मांगी गई जानकारियां कोई सामान्य सूचनाएं नहीं थीं। 7 से 10 मई 2025 के बीच चले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान पर सैन्य जवाबी कार्रवाई की थी। यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, के जवाब में की गई थी।
जांच एजेंसियों के अनुसार, विशाल ने इस ऑपरेशन से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं प्रिया शर्मा को लीक कीं। यह सुरक्षा उल्लंघन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है।
जुए की लत, कर्ज और लालच ने बनाया जासूस
विशाल यादव नौसेना भवन के डॉकयार्ड निदेशालय में UDC (Upper Division Clerk) के पद पर कार्यरत था। जांच में सामने आया कि वह ऑनलाइन गेमिंग का आदी था और भारी कर्ज में डूब चुका था। आर्थिक संकट में फंसे विशाल ने जब प्रिया शर्मा से दोस्ती की, तो उसे क्रिप्टोकरेंसी (USDT) और बैंक ट्रांसफर के माध्यम से करीब 2 लाख रुपये दिए गए।
यही लालच उसके लिए विनाश का कारण बन गया। उसने कई स्तरों पर गोपनीय दस्तावेज और सूचनाएं लीक कर दीं।
हनीट्रैप का बढ़ता नेटवर्क
विशाल यादव का मामला पहला नहीं है। इससे पहले भी ज्योति मल्होत्रा, कासिम खान, और शकूर खान जैसे नाम पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क से जुड़े पाए गए हैं। इन मामलों में भी सोशल मीडिया हनीट्रैपिंग के जरिए भारतीय जवानों और अधिकारियों को फंसाया गया।
ISI की रणनीति बेहद चौंकाने वाली है – भारतीय नामों का उपयोग, भावनात्मक जुड़ाव, और फिर पैसे का लालच। यह सब एक डिजिटल ऑपरेशन के तहत बड़ी सफाई से किया जा रहा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
विशाल की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान पुलिस, मिलिट्री इंटेलिजेंस, और साइबर क्राइम सेल संयुक्त रूप से इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने की कोशिश में लगी हैं। शुरुआती जांच में यह संकेत मिले हैं कि और भी कई भारतीय कर्मी इस जाल में फंसे हो सकते हैं।
इस पूरे मामले में "प्रिया शर्मा" जैसे फर्जी नामों के जरिए युवाओं को बहकाना, भारत की साइबर सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
डिजिटल जाल में उलझे देशभक्त
भारत की आंतरिक सुरक्षा को सोशल मीडिया के जरिए निशाना बनाना अब आम हो चला है। फर्जी प्रोफाइल, भावनात्मक रिश्ते, और पैसे का प्रलोभन, यही हथियार बन गए हैं देश के दुश्मनों के।
इस घटना से यह साफ हो गया है कि आज के डिजिटल युग में सतर्कता ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। सरकार को जहां सायबर सुरक्षा और कर्मचारियों की स्क्रीनिंग को और मजबूत करना होगा, वहीं आम नागरिकों को भी जागरूक होने की जरूरत है।