मुंबई। बॉलीवुड में केदार शर्मा का नाम एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने राजकपूर, भारत भूषण, मधुबाला, गीताबाली, माला सिन्हा और तनुजा सरीखी नामचीन हस्तियों को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 12 अप्रैल 1910 को पंजाब के नरोअल शहर (अब पाकिस्तान) में जन्में केदार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर से पूरी की। इसके बाद वह नौकरी की तलाश में मुंबई आ गए लेकिन वहां काम नहीं मिलने के कारण वह अमृतसर लौट आए। इस बीच उन्होंने अमृतसर के खालसा कॉलेज से स्नाकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
वर्ष 1933 में केदार को देवकी बोस निर्देशित फिल्म पुराण भगत देखने का अवसर मिला। इस फिल्म से वह इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने निश्चय किया कि वह फिल्मों में ही अपना करियर बनाएंगे। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए केदार कलकत्ता चले गए। कलकत्ता में केदार की मुलाकात फिल्मकार देवकी बोस से हुई और उनकी सिफारिश से उन्हें न्यू थियेटर में बतौर छायाकार शामिल कर लिया गया। वर्ष 1934 में प्रदर्शित फिल्म सीता बतौर छायाकर केदार की पहली फिल्म थी। इसके बाद न्यू थियेटर की फिल्म इंकलाब में केदार को एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला।
वर्ष 1936 में प्रदर्शित फिल्म देवदास केदार शर्मा के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में वह बतौर कथाकार और गीतकार की भूमिका में थे। फिल्म हिट रही और केदार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। वर्ष 1940 में केदार को एक फिल्म तुम्हारी जीत के निर्देशन का मौका मिला लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने औलाद फिल्म को निर्देशित किया जिसकी सफलता के बाद वह कुछ हद तक बतौर निर्देशक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए। वर्ष 1941 में उन्हें चित्रलेखा फिल्म को निर्देशित करने का मौका मिला।
फिल्म की सफलता के बाद केदार शर्मा बतौर निर्देशक फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए। इन सबके साथ ही फिल्म चित्रलेखा का स्नान दृश्य बहुत चर्चित हुआ था जो फिल्म अभिनेत्री मेहताब पर फिल्माया गया था। इस फिल्म के बाद मेहताब दर्शको के बीच काफी लोकप्रिय हुई थी लेकिन फिल्म के शुरूआत के समय मेहताब स्नान दृश्य के फिल्मांकन के लिए तैयार नही थीं।
केदार ने जब मेहताब के समक्ष स्नान दृश्य के फिल्मांकन का प्रस्ताव रखा तो मेहताब बोलीं, यह सीन आप दर्शकों के लिए रखना चाहते हैं या सिर्फ अपनी खुशी के लिए। केदार ने तब मेहताब को समझाया, देखो सेट पर अभिनेत्री और निर्देशक का रिश्ता पिता-पुत्री का होता है। केदार की यह बात मेहताब के दिल को छू गई और उसने केदार के सामने यह शर्त रखी कि दृश्य के फिल्मांकन के समय सेट पर केवल वहीं मौजूद रहेगें।
वर्ष 1947 में केदार ने नीलकमल के जरिए राजकपूर को रूपहले पर्दे पर पहली बार पेश किया। राजकपूर इसके पूर्व केदार की यूनिट में क्लैपर बॉय का काम किया करते थे। वर्ष 1950 में केदार ने फिल्म बावरे नैन का निर्माण किया और अभिनेत्री गीता बाली को पहली बार बतौर अभिनेत्री काम करने का अवसर दिया। वर्ष 1950 में ही केदार की एक और सुपरहिट फिल्म जोगन प्रदर्शित हुई। फिल्म में दिलीप कुमार और नरगिस मुख्य भूमिका में थे। केदार की यह विशेषता रहती थी कि जिस अभिनेता-अभिनेत्री के काम से वह खुश होते उसे पीतल की दुअन्नी देकर सम्मानित किया करते। राजकपूर, दिलीप कुमार, गीताबाली और नरगिस को यह सम्मान प्राप्त हुआ था।
केदार ने कई फिल्मों में अपने अभिनय से भी दर्शकों का दिल जीता। इन फिल्मों में इंकलाब, पुजारिन, विद्यापति, बडी दीदी, नेकी और बदी शामिल हैं। उन्होंने कई फिल्मों के लिए गीत भी लिखे। केदार ने बच्चों के लिए भी कई फिल्में बनाईं। इनमें जयदीप, गंगा की लहरें, गुलाब का फूल, 26 जनवरी, एकता, चेतक, मीरा का चित्र, महातीर्थ और खुदा हाफिज शामिल हैं। लगभग पांच दशक तक अपनी फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज करने वाले महान फिल्मकार केदार शर्मा 29 अप्रैल 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।-एजेंसी