जानिए! दिशानुसार यात्रा के शुभ दिन के बारे में

Samachar Jagat | Thursday, 22 Dec 2016 05:16:01 PM
Good day per direction of travel

ज्योतिषशास्त्र में सप्ताह के सात दिनों की प्रकृति और स्वभाव के बारे में बताया गया है। सप्ताह के सात दिनों पर ग्रहों का अलग-अलग प्रभाव होता है। ऐसे में इन सभी दिनों में कुछ कार्य करना शुभ होता है और कुछ कार्य किसी दिवस को करना वर्जित होता है। अतः कौनसे दिवस को कौनसा कार्य करना चाहिए और किस कार्य को करने से बचना चाहिए, इसके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। चलिए आपको बताते हैं दिन और उसके अनुसार किए जाने वाले कार्यों के बारे में......

रविवार :-         

रविवार की प्रकृति ध्रुव है और इसका दिशाशूल पश्चिम और वायव्य है। इस दिन आप पूर्व, उत्तर और अग्निकोण में यात्रा कर सकते हैं। इस दिन गृहप्रवेश करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन सोना, तांबा खरीद सकते हैं या धारण कर सकते हैं।

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सोमवार :-

इसकी प्रकृति सम है। इस दिन दक्षिण, पश्चिम और वायव्य दिशा में यात्रा कर सकते हैं लेकिन उत्तर, पूर्व और आग्नेय में दिशाशूल रहता है। इस दिन गृह निर्माण का शुभारंभ, राज्याभिषेक, कृषि कार्य या लेखन कार्य का शुभारंभ करना उचित है।

मंगलवार :-

इसकी प्रकृति उग्र है अतः इस दिन दक्षिण, पूर्व, आग्नेय दिशा में यात्रा कर सकते हैं लेकिन पश्चिम, वायव्य और उत्तर में दिशाशूल रहता है। शस्त्र अभ्यास, शौर्य के कार्य, विवाह कार्य या मुकदमें का आरंभ करने के लिए यह उचित दिन है। इस दिन आप बिजली, अग्नि या धातुओं से संबंधित वस्तुओं का क्रय-विक्रय कर सकते हैं।

बुधवार :-

इसकी प्रकृति चर और सौम्य मानी गई है। इस दिन आप पूर्व, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में यात्रा कर सकते हैं लेकिन उत्तर, पश्चिम और ईशान में दिशाशूल रहता है। यात्रा के लिए यह दिन उचित है। मंत्रणा, मंथन और लेखन कार्य के लिए भी यह दिन उचित है। ज्योतिष, शेयर, दलाली जैसे कार्यों के लिए भी यह दिन शुभ माना गया है।

गुरुवार :-

इसकी प्रकृति क्षिप्र है। इस दिन उत्तर, पूर्व, ईशान दिशा में यात्रा करना शुभ रहता है। दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य में दिशाशूल माना गया है। धार्मिक, मांगलिक प्रशासनिक, शिक्षण और रचनात्मक कार्यों के लिए यह दिन शुभ है। इस दिन आप सोने और तांबे का क्रय-विक्रय कर सकते हैं।

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शुक्रवार :-

इसकी प्रकृति मृदु है। इस दिन पूर्व, उत्तर और ईशान में यात्रा की जा सकती है। वहीं इस दिन नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण में दिशाशूल माना गया है। गृहप्रवेश, कन्यादान, नृत्य, गायन, संगीत और कला के कार्यों के लिए यह शुभ दिन है। सुखोपभोग और सहवास के लिए भी लाभदायक होता है।

शनिवार :-

इसकी प्रकृति दारुण है। इस दिन आप नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण दिशा में यात्रा कर सकते हैं। इस दिन पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में दिशाशूल माना गया है। भवन निर्माण प्रारंभ, तकनीकी कार्य, शल्य क्रिया या जांच कार्य के लिए यह उचित दिन है। इस दिन प्लास्टिक, तेल, पेट्रोल, लकड़ी, सीमेंट आदि का क्रय और विक्रय किया जा सकता है।

(Source - Google)

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