नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती

Samachar Jagat | Thursday, 12 Jan 2023 11:40:14 AM
Netaji Subhash Chandra Bose Birth Anniversary

भारत देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओड़ीसा में हुआ था। नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ। बचपन में प्रथम श्रेणी में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद सुभाष चंद्र बोस भारतीय प्रशासनिक सेवा की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए।


उन्हें अंग्रेजों की गुलामी मंजूर नहीं थी,इसलिए भारतीय प्रशासनिक सेवा को बीच में ही छोड़कर वह भारत आ गए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें प्यार से नेताजी के नाम से भी जाना जाता है ,वो एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और एक क्रांतिकारी थे | उन्होंने न केवल अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि उनकी देशभक्ति और विचारधाराएं उनके बाद की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहीं हैं । उन्होंने 1943 में भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना(आजाद हिंद फौज) का नेतृत्व किया था | नेताजी के राष्ट्रवादी विचारों ने लाखों लोगों को भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारतीयों के रक्त में देशभक्ति की आग लगाने वाला नारा दिया था, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’
भारत के स्वतंत्रता दिलाने में बहुत से महान क्रान्तिकारियो ने अपने प्राणों को त्याग दिया। इन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस। सुभाष चंद्र बोस के कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक विचारो के वजह से भारत के लोगो को आज़ादी के लिये संघर्ष करने की प्रेरणा मिली थी। सुभाष चन्द्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा’, ‘जय हिन्द’ और “दिल्ली की सड़क स्वतंत्रता की सड़क है। दिल्ली चलो।” जैसे कई प्रसिद्व नारे दिए है। जिनकी वजह से बहुत बडी संख्या में भारतीय युवा भारत की आजादी के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित हुए थे। देश की आज़ादी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक मह्त्वपूर्ण भूमिका थी।

“मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है, मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है, मुझे नैतिक विचारों की धारा में नही बहना है।
हमे अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिले, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
यदि कभी झुकने की नौबत आ जाए तो वीरों की तरह झुके।
आशा की कोई न कोई किरण होती है, जो हमें जीवन से कभी भटकने नही देती। “

 



 

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