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सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि जमीन मालिकों द्वारा मुआवजा लेने से इनकार करने पर भी भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द नहीं होगी। यदि मुआवजा सरकारी कोष में जमा किया गया है, तो अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी। यह निर्णय भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की धारा 24 के तहत आया है और इसका उद्देश्य भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना है।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- मुआवजा न लेने पर भी अधिग्रहण जारी रहेगा:
- अगर जमीन मालिक मुआवजा लेने से इनकार करते हैं, तब भी अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द नहीं होगी।
- पुराने अधिग्रहण पर नियम:
- 2013 अधिनियम के तहत, अगर 5 साल के भीतर मुआवजा नहीं दिया गया या कब्जा नहीं लिया गया, तो अधिग्रहण रद्द हो सकता है।
- मुआवजा सरकारी कोष में जमा करने का प्रावधान:
- मुआवजा सरकारी खजाने में जमा करना पर्याप्त होगा; इसे कोर्ट में जमा करने की आवश्यकता नहीं है।
धारा 24(2) की व्याख्या:
इस धारा के तहत, यदि अधिग्रहण के 5 साल के भीतर जमीन पर कब्जा या मुआवजा नहीं दिया गया, तो अधिग्रहण रद्द माना जाएगा। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर मुआवजा सरकारी कोष में जमा हो चुका है, तो इसे "अदा किया गया" माना जाएगा।
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में सुधार:
- यह निर्णय भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में अधिक स्थिरता और पारदर्शिता लाएगा।
- जानबूझकर मुआवजा न लेने की स्थिति में भी सरकार की प्रक्रिया बाधित नहीं होगी।
- भूमि अधिग्रहण के मामलों में यह फैसला नए मानदंड स्थापित करेगा।