साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल को लगेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 अप्रैल को वैशाख मास की अमावस्या तिथि है। यह अमावस्या शनिवार के दिन पड़ने के कारण शनिचरी अमावस्या का योग बन रहा है। जबकि साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को लगेगा। सूर्य ग्रहण की दृश्यता के अनुसार ही सूतक काल का निर्धारण किया जाता है। अगर भारत में कोई ग्रहण नजर आता है तो सूतक काल मान्य होता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक दृष्टि से ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। मंदिर के कपाटों को भी बंद कर दिया जाता है। 30 अप्रैल और 1 मई की मध्य रात्रि में ग्रहण होगा। ये ग्रहण दक्षिण अमेरिका, दक्षिण प्रशांत महासागर आदि जगहों पर दिखाई देगा। भारत के किसी भी क्षेत्र में ये ग्रहण नहीं दिखेगा। 30 अप्रैल की रात भारतीय समयानुसार ग्रहण रात में 12.15 बजे शुरू होगा। इस ग्रहण का मोक्ष 1 मई की सुबह 4.07 बजे होगा।
शनिश्चरी अमावस्या
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 30 अप्रैल को स्नान, दान और श्राद्ध की अमावस्या रहेगी। शनिवार को अमावस्या होने से इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। शनिवार को अमावस्या होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। अमा का अर्थ है करीब और वस्या का अर्थ है रहना। इसका शाब्दिक अर्थ है करीब रहना। इस दिन चंद्र दिखाई नहीं देता। इस तिथि के स्वामी पितर होते हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि शुभ कर्म किए जाते हैं। मान्यता है कि पितरों का निवास चंद्र ग्रह पर है। इस दिन पितरों का नाम लेकर पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों को जलांजली दी जाती है।
ग्रहण की धार्मिक मान्यता
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसमें से अमृत निकला था। भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और वे देवताओं को अमृत पिला रहे थे। उस समय राहु नाम का असुर वेष बदलकर देवताओं के बीच चला गया और उसने भी अमृत पी लिया। सूर्य और चंद्र राहु को पहचान गए। उन्होंने विष्णु जी को राहु के बारे में बता दिया। विष्णु जी ने अपने चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था, लेकिन उसने अमृत पी लिया था, इस वजह से उसकी मृत्यु नहीं हुई। सूर्य और चंद्र ने राहु का भेद विष्णु जी को बता दिया था, इस वजह से राहु इन दोनों को शत्रु मानता है और समय-समय इन्हें ग्रसता है, जिसे ग्रहण कहा जाता है। राहु का सिर राहु और उसका धड़ केतु के रूप में जाना जाता है।
कब लगता है सूर्य ग्रहण
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि जब चंद्रमा, सूर्य को ढक लेता है तो इस स्थिति में सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती हैं, तब सूर्य ग्रहण की स्थिति होती है। जब चंद्रमा, सूर्य को आंशिक रूप से ढकता है तो सूर्य की किरणें धरती पर कम आ पाती हैं जिसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं। वहीं, जब चंद्रमा सूर्य के मध्य भाग को ढकता है, इस स्थिति में सूर्य एक रिंग यानी अंगूठी के समान नजर आता है। तब इस स्थिति को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
2022 का पहला सूर्य ग्रहण
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल को मध्य रात्रि 12:15 मिनट से शुरू होगा और सुबह 04:07 मिनट तक रहेगा। साल का पहला सूर्य ग्रहण आंशिक होगा।
कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल का पहला सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखाई पड़ेगा। भारत में सूर्य ग्रहण नजर नहीं आएगा, जिसके कारण देश में सूतक काल मान्य नहीं होगा।