श्रीनगर: सीबीआई ने 1989 में आतंकियों को छुड़ाने के लिए किए गए जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और देश के पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के मामले को एक बार फिर से खोल दिया है. सीबीआई की टाडा अदालत ने रूबैया सईद को 15 जुलाई को गवाह के तौर पर पेश होने के लिए तलब किया है. बता दें कि ऐसा करीब 30 साल बाद पहली बार हो रहा है, जब रूबैया सईद को मामले में पेश होने का निर्देश दिया गया है. रुबैया सईद को सीबीआई ने अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया है। सीबीआई ने 1990 में इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी।
क्या है रुबैया सईद अपहरण कांड?
उल्लेखनीय है कि सुरक्षाबलों ने कुछ आतंकियों को पकड़ा था, उन्हें छुड़ाने के लिए 8 दिसंबर 1989 को मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था. यह आरोप जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक के खिलाफ लगाया गया था। यासीन मलिक के दबाव के आगे झुकते हुए, भारत सरकार ने शेख अब्दुल हमीद, गुलाम नबी बट, नूर मुहम्मद कलवाल, मोहम्मद अल्ताफ और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा कर दिया। यहां आतंकियों को छोड़ा गया और रुबैया सईद को भी वहीं छोड़ा गया। जिस समय यह पूरी घटना हुई उस दौरान मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्र की जनता दल सरकार में गृह मंत्री थे.
यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा
जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के आरोपी यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद 25 मई को एनआईए अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि एनआईए ने उसके लिए मौत की सजा की मांग की थी। यासीन ने कोर्ट से यह भी कहा था कि वह किसी भी तरह से भीख नहीं मांगेगा, कोर्ट को कुछ भी करना पड़े।