जनगणना 2027: केंद्र सरकार ने जारी की आधिकारिक अधिसूचना, इस तारीख से होगी जनसंख्या और जातिगत गणना की शुरुआत

epaper | Monday, 16 Jun 2025 01:15:16 PM
Census 2027: Central government issued official notification, population and caste census will start from this date

नई दिल्ली। देशभर में जनसंख्या और जातिगत आंकड़ों को लेकर एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जनगणना 2027 के आयोजन को लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय, जिसकी कमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पास है, ने यह नोटिफिकेशन जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के तहत जारी किया है।

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि भारत की जनसंख्या की गणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी, और इसके लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि (00:00 बजे) निर्धारित की गई है। हालांकि, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बर्फबारी से प्रभावित और दुर्गम क्षेत्रों के लिए यह तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी।


दो चरणों में होगी जनगणना प्रक्रिया

गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि जनगणना दो चरणों में संपन्न की जाएगी। पहला चरण हिल क्षेत्रों में 2026 के अंत में शुरू होगा, जबकि शेष भारत में मुख्य जनगणना प्रक्रिया 2027 में की जाएगी। इस बार की जनगणना में पारंपरिक जनसंख्या गणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना (Caste Census) भी कराई जाएगी। यह पहली बार होगा जब एक साथ दोनों आंकड़े इकट्ठा किए जाएंगे।

इस निर्णय को लंबे समय से विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा उठाई गई मांग के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल देश की जनसंख्या संरचना स्पष्ट होगी, बल्कि जातिगत आंकड़ों के आधार पर नीति निर्माण में भी सहायता मिलेगी।


जनगणना 2027 की खास बातें

  • संदर्भ तिथि:

    • भारत के अधिकांश हिस्सों के लिए: 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि

    • लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के बर्फबारी प्रभावित क्षेत्रों के लिए: 1 अक्टूबर 2026 की मध्यरात्रि

  • प्रमुख विशेषताएं:

    • दो चरणों में जनगणना

    • जातिगत आंकड़ों का संग्रह पहली बार

    • तकनीक आधारित डाटा संग्रह प्रणाली का प्रयोग (संभावित रूप से मोबाइल ऐप/डिजिटल प्लेटफॉर्म)


जनगणना क्यों है महत्वपूर्ण?

भारत में जनगणना हर 10 वर्षों में की जाती है, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना स्थगित कर दी गई थी। अब 2027 में यह अभ्यास पुनः शुरू हो रहा है। जनगणना से देश के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक ढांचे की सटीक तस्वीर सामने आती है, जिससे सरकार को नीतियां बनाने और योजनाएं लागू करने में सहायता मिलती है।

इसके अलावा, इस बार जातिगत आंकड़े शामिल किए जाने से सामाजिक न्याय और आरक्षण जैसे मुद्दों पर सरकार के पास बेहतर डाटा होगा, जिससे विकास योजनाएं और अधिक लक्षित हो सकेंगी।


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

जातिगत जनगणना को लेकर देश में लंबे समय से बहस चल रही थी। बिहार, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों ने पहले ही अपने स्तर पर जातिगत सर्वेक्षण कराए हैं। अब केंद्र सरकार द्वारा इस दिशा में कदम बढ़ाना एक बड़ा निर्णय माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सामाजिक न्याय की दिशा में एक मजबूत प्रयास हो सकता है, बशर्ते डाटा का सही ढंग से उपयोग किया जाए।

जनगणना 2027 न केवल भारत की जनसंख्या का अद्यतन आंकड़ा प्रदान करेगी, बल्कि यह पहली बार जाति आधारित विस्तृत जानकारी भी सामने लाएगी। इससे शासन प्रणाली को मजबूत आधार मिलेगा और सामाजिक समानता के लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी।

सरकार की इस घोषणा के साथ अब राज्यों और स्थानीय प्रशासन को तैयारियों में जुट जाना होगा ताकि यह महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रक्रिया समय पर और सफलतापूर्वक पूरी की जा सके।



 


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