मां की यादों में खोए Narendra Modi मां को लेकर

Samachar Jagat | Saturday, 31 Dec 2022 05:23:08 PM
Narendra Modi lost in the memories of his mother

नरेंद्र मोदी अक्सर कहा करते थे की ये सिर्फ शब्द ही नहीं है। वह वो भावना होती है जिसमे स्नेह, धैर्य ,विश्वास, कितना कुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना क्यू ना हो,कोई भी देश हो,हर संतान के मन में सब से अनमोल प्यार मां के लिए होता है। मां सिर्फ शरीर ही गढ़ती बल्की हमारे मन,हमारा व्यक्तित्व और आत्मविश्वास भी घटती है और ऐसा करते हुवे वो खुद को खपा देती है। खुद को भुला देती है।

अपनी मां के जन्म दिन पर उन्होंने दस बाते कही थी। हीरा बा के जन्म दिन पर उनके भतीजे ने एक वीडियो भेजे थे। इसमें मां अपने घर में बैठी भजन कीर्तन कर रही थी। एक अन्य संस्मरण में बताया गया था कि घर में सोसाइटी के कई लोग आए हुवे है। पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है। भजन कीर्तन चल रहा है। मां मग्न होकर भजन और मजीरा बजा रही है। मां आज भी वैसी ही थी। शरीर में ऊर्जा बेशक काम हो मन की ऊर्जा में कोई कमी नहीं थी।

मोदी की बताते है की उनका बचपन तंग हाली में गुजरा था। बदनगर में वो अपने परिवार के साथ रहते थे,वह कच्चा ही था। उसमें ना तो कोई भी खिड़की नहीं थी। कोई बैड रूम नहीं था कोई शौचालय या इस्नान घर भी नही था। इकलोते कमरे में भाई बहन, मां पिताजी सब एकसाथ ही रहा करते थे। उस छोटे से घर में मां की सहूलियत के लिए एक छोटा सा छप्पर भी बनवाया गया था। मां की विशेता यह भी थी की वह घर का सारा काम खुद ही किया करती थी। किसी को भी मदद के लिए नही कहती थी। मेरी मां हमेशा सुबह चार बजे उठ जाया करती थी। तड़के ही घर का सारा काम निपटा दिया करती थी। काम करते समय भजन गुनगुनाया करती थी। घर का खर्च चलने के लिए वह दूसरों के घर में बर्तन मांजा करती थी। इससे दो चार पैसे मिल जाते थे। समय होने पर वह चरखा चला कर सूट कटा करती थी।

मोदी बताते है कि वद नगर वाले घर की छत बारिश के समय टपका करती थी। मगर परिवार की सारी समस्या से खुद जूझा करती थी। छत की मरम्मत के लिए वह उस पर चढ़ जाय करती थी। मां को हमने कभी भी परेशान नहीं देखा। पानी की बचत को लेकर सदा सचेत रहती थी। मां को घर सजाने का बहुत शौक था। इसे हमेशा साफ रखती थी। समय समय पर घर में गोबर का लेप किया करती थी। गोबर के उपले जला कर भोजन पकाया करती थी। मां मिट्टी की बहुत सुंदर कटोरियां बना कर घर को सजाया करती थी। पुरानी चीजों को री साइकलिंग में मां बहुत ही मास्टर थी। पुराने कागजों को भिगो कर,उसके साथ इमली पीसकर ऐसा पेस्ट बनालिया करती थी कि इससे दीवारों पर कांच चिपका कर बहुत सुंदर चित्रकारिता किया करती थी। मां इस मामले मां अनुशासित थी की बिस्तर एक दम साफ़ और उसे अच्छे से बिछाया करती थी। हर काम में परफेक्सन का उनका भाव इस उम्र में भी वैसा का वैसा था।

मोदी कहते है कि मै जब भी दिल्ली से गांधी नगर जाया करता था,तो मुझे अपने हाथ से मिठाई जरूर खिलाया करती थी और इसके बाद छोटे बच्चे की तरह रुमाल से मेरा मुंह पोछा करती थी। मेरी मां सदा गरीबों का सम्मान करती थी। घर के बाहर जो साफ सफाई करने आता था उसे बड़ा मान सम्मान दिया करती थी। बाद वद नगर में घर के बाहर जो नाली थी,जब कोई साफ करने आता था तो उसे चाय जरूर पिलाया करती थी। मेरी मां की एक और अच्छी बात यह थी उनके मन में जीवों के लिए दया का भाव रखा करती थी। पक्षियों के लिए मिट्टी के बर्तन में हर वक्त पानी भर कर रखती थी। डॉग्स भी भूखे ना रहे इस का भी ध्यान रखती थी।

पीएम मोदी ने मां के बद्री नाथ और केदारनाथ यात्रा से जुड़ी एक कहानी शेयर की। वे लिख ते है कि मेरी मां का मुख पर अटूट विश्वास था। उनके दिए संस्कारों पर पूरा भरोसा रहा है। इसी से जुड़ी एक किस्सा मुझे याद आ रहा है। उस वक्त मैं संगठन में रहते हुवे जनसेवा के काम में जुटा था तब घर वालों से संपर्क टूट गया था। उसी दौर में एक बार मेरे बड़े भाई, मां को बद्रीनाथ और केदार नाथ जी के दर्शन करने के लिए ले गए थे वहां जब लोगों को पता चला की मेरी मां आ रही है तभी मौसम एका एक खराब हो गया ये देख कर कुछ लोग घाटी से नीचे उतर गए। इस पर वे जब भी कोई वृद्ध महिला दिखाई  देती थी इन से पूछ ते थे की आप मोदी की की मां तो नही।

इस पर उन्होंने मां को गर्म कपड़े दिए और गर्मा गर्म चाय भी पिलाई। फिर वे पूरी यात्रा मां के साथ रहे। इसका मां पर काफी प्रभाव पड़ा। यात्रा से लौटने पर मुझसे मिली तो मुझ से कहा की तुम कुछ तो अच्छा काम कर रहे हो।तुम्हे तो बद्रीनाथ और केदारनाथजी तक लोग तुझे जानते है। मां को लेकर मोदी जी के संस्मरण और भी बहुत है जिन से खासा अच्छा रोचक उपन्यास लिखा जा सकता है। उनकी प्रेरणा सभी के लिए प्रेरक है।



 

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