नोएडा के ट्विन टावरों को पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध बनाने और उसे हटाने का आदेश दिए जाने के कुछ महीनों बाद ध्वस्त कर दिया गया था। हालांकि सुपरटेक लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आरके अरोड़ा ने कहा कि टावर नोएडा प्राधिकरण द्वारा उन्हें आवंटित भूमि पर बनाए गए थे और उन्हें एमराल्ड कोर्ट के घर खरीदारों की सहमति थी। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि साइट से मलबा साफ होने के बाद वह जमीन के साथ क्या करने की योजना बना रहे हैं।
ट्विन टॉवर के निर्माण में लगे अनियमितता के आरोप के चलते नौ साल तक चले संघर्ष के बाद बीते रविवार को ध्वस्त कर दिया गया था। यह दोनों टॉवर एमराल्ड कोर्ट के ही हिस्से थे। बिल्डर सुपरटेक के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक आरके अरोड़ा के मुताबिक इनके लिए नोएडा प्राधिकरण ने भूमि आवंटित किया था। इसके लिए प्राधिकरण ने वर्ष 2009 में बिल्डिंग प्लान मंजूर किया था। उन्होंने दावा किया कि उनकी कंपनी ने टावरों को गिराने के लिए 17.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
उन्होंने कहा कि नियमानुसार RWA और प्राधिकरण से आवश्यक मंजूरी लेने के बाद भूमि को भविष्य में उपयोग में लाया जाएगा।उन्होंने कहा कि सुपरटेक ने 95 प्रतिशत खरीदारों को पैसा वापस कर दिया है और शेष 5 प्रतिशत को या तो पैसा मिलेगा या वैकल्पिक संपत्ति मिलेगी। भूमि का उपयोग किसी अन्य आवासीय परियोजना के लिए किया जाएगा लेकिन आवश्यक अनुमति के बिना नहीं।
दिवाला कार्यवाही का सामना करने वाली अपनी अन्य परियोजना के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "केवल एक परियोजना दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही है और पर्याप्त आश्वस्त है कि कोई भी अन्य परियोजना दिवाला कार्यवाही के तहत नहीं आएगी क्योंकि उसका ध्यान अगले 24 महीनों की समय सीमा में अपनी सभी चल रही परियोजनाओं को वितरित करना है। "