अहमदाबाद। गुजरात के साबरकांठा जिले का आकोदरा गांव देश का सबसे पहला डिजिटल विलेज है। जहां शहरों में नोटबंदी के बाद बैंकों के बाहर अफरातफरी का माहौल है। इस गांव में भजदगी अपनी पुरानी रफ्तार से चल रही है। गांव की दुकान में कोई घर के बच्चों के लिए नाश्ता खरीदने जाए या दूध लेने जाए तो कैश की जरूरत नहीं है। आखिर ये पूरा डिजिटल गांव है।
करीब डेढ़ साल पहले एक प्राइवेट बैंक (आईसीआईसीआई) ने प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया योजना के अंतर्गत इस गांव को गोद लिया और गांव की 1500 लोगों की बस्ती में से 1200 के करीब (वयस्क) के खाते खोल दिए। इन्हें ऑनलाइन ट्रांसफर की सुविधा मिल गई, स्मार्टफोन की भी जरूरत नहीं।
सिर्फ जिसके अकाउंट में पैसे डालने हैं, उसका नंबर डालकर रकम एसएमएस करना है और फंड ट्रांसफर हो जाएगा। सभी को बहुत फायदा मिल रहा है. 10 रुपये से ज्यादा का कोई भी व्यवहार इस तरह कर सकते हैं। यहां खुदरे की कोई समस्या नहीं है। इसलिए जहां शहरों में दुकानों में लोग कम आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यहां आराम से पहले की तरह सब चल रहा है। गांव के बुजुर्ग पेंशनरों को भी बाहर नहीं जाना पड़ता है।
गांव के एक रिटायर्ड शिक्षक के साथ कुछ समय पहले एक हादसा हो गया था। वो अपना पेंशन लेने पास के शहर गए थे तो किसी ने पैसे छीन लिए थे। लेकिन अब किसी बु$जुर्ग को कोई भचता नहीं है। पेंशन चाहे जिस बैंक में जमा हो, वो चेक से इसे अपने गांव के अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं और जब चाहिए तब गांव के एटीएम से पैसे निकालकर खर्च करते हैं।
आसपास के आठ किमी के इलाके में यहां का एटीएम इकलौता है। लेकिन फिर भी जहां शहरों में कतारें कम नहीं हो रही हैं वहीं यहां कोई भीड़ नहीं है क्योंकि यहां के ज्यादातर ट्रांजेक्शन कैशलेस होते हैं। ऐसे में जरूरत है यहां के सफल प्रयोग को देश के अन्य हिस्सों में दोहराने की ताकि लोगों की मुश्किलें कम हों और उनकी बचत बढ़ सके।