मानव एक ऐसा क्रियाशील प्राणी है, जो निरन्तर कुछ न कुछ करने का प्रयास करता रहता है। किन्तु सभी के जीवन में ऐसा समय आता है, जब सब कुछ विपरीत हो रहा होता है। अथाह परिश्रम के बावजूद भी हमें मनचाहा परिणाम प्राप्त नहीं हो पाता है। ऐसे में जब भी हम किसी सफलतम् व्यक्ति को देखते है या उसके संबंध में पढ़ते है तो, हमारे मन में विभिन्न प्रकार के भाव आवागमन करते है।
सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति ऐसे प्रसंगो से प्रेरणा लेकर एक नए जोश व उत्साह से भर जाता हैं। वह अपने इच्छित लक्ष्य की ओर बढऩे का प्रयास करता है। जबकि विपरीत या नकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति ऐसे प्रसंगो से अवसाद में चला जाता है और अपने प्रयासों को तिलांजली दे देता हैं। वह यह जानने का भी प्रयास नहीं करता कि क्या उन व्यक्तियों ने प्रथम प्रयास में ही सफलता पा ली या उन्हें भी पथ-पथ पर असफलताओं, विपाियों व कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
असफलताओं से घबराकर हार मान लेने से इच्छित लक्ष्य नहीं मिलते। वास्तविकता यही है कि सफल व्यक्ति कभी भी असफलताओं से निराश नहीं होते वरन् अपनी कमियों को दूर कर नए सिरे से आगे बढ़ते हैं और अन्तत: सफलता उनके कदम चूमती है। तभी तो कहा गया है कि ‘‘हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा।’’ यही जीवन का सत्य है और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए।