सदियों की मंजिल के सफर को
मुझको ही तय करना है
मालूम है कोई साथ ना होगा
मुझको ही जय करना है
अमिट निशां है, इस धरती के जज्बातों पर, इंसान के कदमों के, अमर हैं दास्तानें उन शख्सियतों की जो सब कुछ लुटाकर भी खुद नहीं लुटे, खड़ी है विजय पताकाएं गगन चुम्बी पर्वतों की चोटियों पर, यह बताने के लिए कि हमारी नींव के कर्णधारों की तरफ एक बार ही सही, देख तो लें, हंस रही है
अमर गाथाएं वादियों और घाटियों में, कोई उनके संग हंसने वाला चाहिए, खड़े हैं सीना ताने वे बुर्ज यह बताने के लिए कि खड़े रहो हमारी तरह क्योंकि ये आंधियां और तूफान तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे, आज भी जिंदा है वे प्रमाण सागरों की तलहटी में हाथ-पैरों के निशानों के रूप में, जहां तक किसी ने यात्रा की थी, अपने मन की गाड़ी पर सवार होकर और भी न जाने क्या-क्या अंकित है, धरती और आसमां के सिर-माथे पर शिलालेखों के रूप में, बस ऐसे शिलालेखों को कोई पढ़ने-समझने और आत्मसात करने वाला चाहिए।
इन सब बातों का एह ही मतलब है कि ऐ! नादां जो तू छोटी-छोटी बातों को परेशानी समझ रहा है, नौकरी पाना तेरे लिए आसमां में उड़ने जैसा हो गया, दो कदम चलना तेरे लिए असंभव हो गया है, छोटी-छोटी बातें सुनना तेरे आपे से बाहर हो गई है, बहुत कुछ पाने के लिए थोड़ा भी कष्ट उठाना तेरी फितरत में नहीं है और हर पल तेरी बेचैनी, अशांति और नाकामयाबी तेरे साथ रहती है, बस यही तेरे सबसे बड़ी सफलता में बाधा है।
जरा तो सोच कि इस दुनिया के पटल पर ऐसे-ऐसे किस्से लिखे गए हैं, लिखे जा रहे हैं और लिखे भी जाएंगे जिनमें सफलता के हिस्से हैं, बस तू भी स्वयं को उनमें शामिल कर ले। अभी से अपनी समस्त मन की कमजोरियों को बाहर निकालकर फेंक दे और बढ़ा ले अपने कदमों को उस तरफ जिस तरफ तेरी मंजिल के रास्ते जाते हैं।
प्रेरणा बिन्दु:-
युगों की मंजिल का राही बन जा
मील के पत्थरों का भाई बन जा
कुएं और खाई के बीच भी रास्ते होते हैं
ऐसे रास्तों का तू हमराही बन जा।