धर्मशाला। पुणे, बेंगलूरु और रांची में स्पिन का बोलबाला रहने के बाद अब धर्मशाला के खूबसूरत मैदान में तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी। इस मैच से ही भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही चार मैचों की टेस्ट सीरीज का फैसला भी होगा।
धर्मशाला मैदान की पिच देखकर तेज गेंदबाजों की बांछें खिली हुई हैं और दोनों ही टीमें एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज रखने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ की पिच के लिए कहा जा रहा है कि इसमें गति और उछाल होगी जिससे तेज गेंदबाजों को ज्यादा मदद मिलेगी।
पुणे और बेंगलूरू में पिचों में इतना टर्न था कि इन्हें खराब करार दे दिया गया। हालांकि रांची में ज्यादा टर्न नहीं मिला, लेकिन तेज गेंदबाजों को भी कोई बहुत मदद नहीं मिली। मैच पूरे पांच दिन तक चलने के बाद ड्रॉ समाप्त हो गया। धर्मशाला के लिए माना जा रहा है कि यहां बार्डर-गावस्कर ट्रॉफी का फैसला होगा।
एचपीसीए के पिच क्यूरेटर सुनील चौहान ने हालांकि संकेत दिया है कि उनकी पिच चार क्षेत्रों तेज गेंदबाजी, बल्लेबाजी, स्पिन गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण को मदद करेगी। यहां सवाल यह है कि कोई पिच क्षेत्ररक्षक को कैसे मदद कर सकती है। इसके लिए यही कहा जा रहा है कि गेंद में इतनी उछाल होगी कि वह बल्ले का किनारा लेकर आसानी से स्लिप फील्डरों के हाथों में चली जाए।
चौहान ने जोर देकर कहा गेंद को पिच से अच्छी मदद मिलेगी और वह गति के साथ निकलेगी। बीसीसीआई की पिच समिति के अध्यक्ष दलजीत सिंह इस समय धर्मशाला में हैं और पिच की तैयारियों को देख रहे हैं। हिमालय की वादियों में स्थित धर्मशाला में मध्य मार्च के दौरान अधिकतम तापमान 20 डिग्री के आसपास रहता है और हल्की वर्षा हो सकती है।
तेज गेंदबाजों को इससे हवा में शुरुआती मदद मिल सकती है और वे गेंद को स्विग भी करा सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज मिशेल जॉनसन का कहना है कि उन्होंने धर्मशाला की पिच को घास के बिना नहीं देखा है और उनका कहना है कि इस पिच के कारण ऑस्ट्रेलिया एक स्पिनर को बाहर कर एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज खेला सकता है।