नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआईं) ने लोढ़ा समिति की सुधार संबंधी कुछ सिफारिशों का अपना विरोध जारी रखते हुए इस मसले पर पांच दिसंबर को आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक इंतजार करेगा।
बीसीसीआई ने अपनी विशेष आम सभा की बैठक में सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं लिया लेकिन सूत्रों से पता चला है कि राज्य संघों से शीर्ष अदालत से अनुकूल फैसला नहीं आने की स्थिति में ‘प्लान बी’ तैयार रखने के लिये कहा गया है। लोढ़ा समिति ने पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई को पर्यवेक्षक नियुक्त करने और बीसीसीआई पदाधिकारियों को बख्रास्त करने का आग्रह किया है।
राज्य इकाई के एक अधिकारी ने कहा, ‘वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा कि हमें पांच दिसंबर तक इंतजार करना चाहिए. कोई भी फैसला अदालत की अवमानना हो सकता है. उन्होंने इसके साथ ही सलाह दी कि राज्य संघों को प्लान बी तैयार रखना होगा। यदि अदालत फैसला सुनाता है तो हमें उसे मानना होगा और उसी के अनुसार संविधान में बदलाव करना पड़ेगा।’
विशेष आम सभा की बैठक में सदस्यों ने यथास्थिति बनाये रखी। लोढ़ा समिति की सिफारिशों को अक्षरश: लागू करने का फैसला करने वाले दो राज्य संघ त्रिपुरा और विदर्भ बैठक में उपस्थित नहीं थे। इस बारे में जब बीसीसीआई सचिव अजय शिर्के से कारण बताने के लिये कहा गया तो उन्होंने कहा कि धुंध के कारण उड़ानों में देरी की वजह से ऐसा हुआ।
शिर्के ने पत्रकारों से कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि सदस्यों के बीच मतभेद है। विदर्भ और त्रिपुरा के सदस्य धुंध की वजह से नहीं आ पाए। हमने स्थिति को फिर से उनके सामने स्पष्ट कर दिया है। वे अपने रवैये पर कायम हैं जो एक अक्तूबर को पहली एसजीएम में लिया गया था। कुछ सिफारिशों को छोडक़र बाकी सभी पर सहमति है। हम पांच दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक इंतजार करेंगे।’
बीसीसीआई की मुख्य आपत्ति पहले वाली ही हैं। बोर्ड 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति पदाधिकारी बनने के अयोग्य होना, दो कार्यकालों के बीच तीन साल तक कोई पद नहीं संभालना और एक राज्य एक मत की नीति का विरोध कर रहा है।