नैनीताल। नोटबंदी के बाद जिला सहकारी बैंकों में पांच सौ और एक हजार रूपए के नोट जमा कराने पर केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर अब छह दिसंबर को उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.एम. जोसफ एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष अधिवक्ता नीरज तिवारी की जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई। जिसमें केंद्र की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने अपनी दलील रखी।
केंद्र सरकार ने साफ किया है कि नोट बंदी करना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और उसका अधिकार है। आतंकवाद, हवाला कारोबार, काले धन आदि पर नकेल कसने के लिए और देश की तरक्की के लिए नोट बंदी का फैसला लिया गया है।
उच्चतम न्यायालय की पांच जजों की खंडपीठ नोट बंदी को जायज ठहरा चुकी है। किसानों की उर्वरक और अन्य समस्याओं के समाधान को कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्र की ओर से कहा गया कि मुंबई एवं दिल्ली उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय में याचिका को देखते हुए सुनवाई टाल चुके है। उच्चतम न्यायालय में इसकी दो दिसंबर को सुनवाई होगी।