नई दिल्ली। दूरसंचार सेवाएं माल एवं सेवा कर जीएसटी के अंतर्गत महंगी होंगी। सरकार ने इसे 18 प्रतिशत कर के दायरे में रखा है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने श्रीनगर में जीएसटी परिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि दूरसंचार और वित्तीय सेवाओं पर मानक 18 प्रतिशत की दर से कर लगेगा।
कर्ज में डूबी दूरसंचार कंपनियों ने जीएसटी दर को लेकर अप्रसन्नता जतायी और कहा कि दूरसंचार सेवा ग्राहकों के लिये महंगी होंगी और डिजिटल इंडिया तथा डिजिटल भुगतान जैसी सरकार की परियोजनाएं प्रभावित होंगी।
फिलहाल दूरसंचार उपभोक्ताओं से उनके फोन बिल 15 प्रतिशत कर और उपकर लगता है।
मोबाइल उद्योग संगठन सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने एक बयान में कहा कि दूरसंचार उद्योग ने एक महत्वूपर्ण सुधार के रूप में जीएसटी की सराहना की लेकिन हम 18 प्रतिशत की दर से कर लगाये जाने की घोषणा से नाखुश हैंं।
उन्होंने कहा कि हमने सरकार से क्षेत्र की मौजूदा वित्तीय स्थिति पर गौर करने को कहा था और कहा था कि 15 प्रतिशत से अधिक दर से दूरसंचार सेवाएं उपभोक्ताओं के लिये अधिक महंगी होंगी।
मैथ्यूज ने कहा कि जीएसटी के तहत 18 प्रतिशत कर दूरसंचार उद्योग पर मौजूदा बोझ को और बढ़ाएगा।
ईवाई इंडिया के टैक्स-पार्टनर उदय पिंपरीकर ने कहा कि दूसरसंचार क्षेत्र पर 18 प्रतिशत का कर लगाने से कुल मिला कर कर बोझ बढेगा और इस तरह यह ग्राहकों के लिए एक बुरा अनुभव होगा।
पिंपरीकर ने कहा कि दूरसंचार एक सेवा है इसको ‘और अधिक संवेदनशील नजरिए से देखा जाना चाहिए।’