आज किस तरह इंसानियत शर्मसार हो चुकी है इसका अंदाज़ा लगाए नही लग सकता। सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था हमेशा चरमराई सी ही रहती है। मगर कामचलाऊ इलाज तो अंत में हो ही जाता है। लेकिन इस बार की घटना ने तो सबका दिल दहला कर रख दिया। भुवनेशवर ओडिशा में हुई यह घटना ,जहा सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस और मॉर्चरी वन नही मिलने पर मजबूरन दाना मांझी को अपनी मरी हुई पत्नी का शव अपने कांधे पर उठा कर अकेले 10 किलोमीटर जाना पड़ा। मांझी के साथ उसकी 12 साल की रोटी हुई बच्ची भी थी। इस घटना का विडियो आग की तरह इन्टरनेट पर वायरल हो चूका है। जिसे एक निजी टीवी चैनल द्वारा रिकॉर्ड किया गया था।
10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोता रहा बीवी की लाश....
बता दें कि नवीन पटनायक सरकार ने गरीबों की मदद के लिए इसी साल फरवरी में 'महापर्याण' स्कीम लॉन्च की थी। इसके तहत सरकारी हॉस्पिटल से डेड बॉडी को घर तक पहुंचाने के लिए फ्री ट्रांसपोर्टेशन का इंतजाम है। लेकिन इस घटना में ऐसी कोई चीज़ नज़र नही आयी। इंसानियत को शर्मशार करता ये घटना कालाहांडी जिले इकि है। असल बात ये है की, इस बेचारे गरीब मांझी के पास एम्बुलेंस को देने के लिए पैसे नही थे। इसीलिए सरकारी अस्पताल की ओर से मांझी को एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराया गया। उसकी 42 साल की पत्नी का टीबी का इलाज़ चल रहा था। हालांकि काफी देर बाद कुछ लोगो ने वहां के कलेक्टर को खबर दी , फिर उसे बाद में एम्बुलेंस मुहैया कराया गया।
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