नरेन्द्र बंसी भारद्वाज:
आप सभी को मालूम है की हमारे देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली। हमारे देश को आजादी जून विभाजन योजना के तहत मिली। इस जून विभाजन योजना में कहा गया था कि मुस्लिम बाहुल्य इलाके पाकिस्तान और हिन्दु बाहुल्य इलाके हिंदुस्तान होंगे तथा ऐसी रियासते जिनकी आबादी दस लाख और राजस्व एक लाख है वह स्वतंत्र भी रह सकती है। इस समस्या से भारत के लिए निजात पाना बहुत दुष्कर कार्य था। क्योंकि तत्कालीन समय में देश में कुल 562 रियासते थी। जिनका एकीकरण करना था।
इन रियासतों में सबसे कठिन एकीकरण राजपूताने का था। क्योंकि यहाँ का इतिहास बहुत निराला था। यहाँ के राजपूत राजाओ ने अपना इतिहास अपने शौर्य और असीम वीरता से लिखा था। यह वह इतिहास था जिसमे कभी इन्होंने मोहम्मद गौरी, तो कभी अल्लाउद्दीन खिलजी, तो कभी शेरशाह सूरी, तो कभी अकबर जैसे बड़े शासकों के अपने शौर्य से दांत खट्टे कर दिए थे।
देश की आजादी के बाद राजपूताने के एकीकरण जिम्मेदारी भारत के गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को दी गयी थी। 1 नवम्बर 1956 को इस राजपूताने का वर्तमान स्वरूप सामने आया। जिसे राजस्थान के नाम से जाना जाता है। सरदार पटेल ने इन राजपूत राजाओ को भारतीय संघ में मिलाने के लिए कई तरह की रियायते भी दी थी। इन्ही रियायतों के साथ इन राजपूत राजाओ को भरण पोषण और खर्चो के लिए विशेष प्रकार के भत्ते भी स्वीकार किये गए। इन्ही भत्तो को प्रीविपर्स के नाम से जाना जाता है तो आइये जानते है राजस्थान की किस रियासत को कितना प्रीविपर्स दिया जाता था।
रियासत राजा प्रीविपर्स
अलवर महाराजा तेज सिंह 5,20,0000 /-
बांसवाड़ा चंद्रवीर सिंह 1,26,000 /-
भरतपुर महाराजा बृजेन्द्र सिंह 5,02,000 /-
बीकानेर सार्दुल सिंह 17,00,000 /-
बूंदी बहादुर सिंह 2,81,000 /-
धौलपुर उदयभान सिंह 2,64,000 /-
डूंगरपुर लक्ष्मण सिंह 1,98,000 /-
जयपुर मान सिंह 18,00000 /-
जैसलमेर रघुनाथ सिंह बहादुर 1,80,000 /-
झालावाड़ हरीश चंद्र बहादुर 1,36,000 /-
जोधपुर हनवंत सिंह 17,50,000 /-
करौली गणेश पाल देव 1,05,000 /-
किशनगढ़ सुमेर सिंह 1,36,000 /-
कोटा भीम सिंह 7,00,000 /-
प्रतापगढ़ अम्बिका प्रताप सिंह 1,02,000 /-
शाहपुरा सुदर्शन देव 90,000 /-
टोंक नवाब अज़ीज़दुल्ला 2,78,000 /-
उदयपुर भूपाल सिंह 10,00,000 /-