वाशिंगटन। मस्तिष्क में होने वाले घातक ट्यूमरों के सबसे आम प्रकार - ग्लायोमा के लिए जिम्मेदार आनुवांशिक जोखिम कारक महिलाओं और पुरुषों में अलग - अलग होते हैं। वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा किया है। ग्लायोमा के मामलों में लैंगिक अंतर और जीवित बचने की दरों के बारे में पहले से जानकारी थी लेकिन अनुसंधानकर्ताओं ने यह नहीं जांचा था कि लिंग आधारित आनुवांशिक अंतरों का महिलाओं और पुरुषों में होने वाले ग्लायोमा के खतरे पर कोई प्रभाव होता है या नहीं।
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अमेरिका की केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के जिल बर्नहोल्ट्ज स्लोआन ने कहा, “ लिंग के आधार पर किए गए इस तरह के अध्ययन ग्लायोमा में पहले से ज्ञात लैंगिक अंतरों को देखने का नया नजरिया देते हैं और लिग से जुड़े ऐसे आनुवांशिक जोखिमों के बारे में बताते हैं जिसके बारे में पहले से जानकारी नहीं थी।” यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने कैंसर के प्रसार का पता लगाने के लिए नई विधि विकसित की है। इस विधि से शरीर के एक अंग से दूसरे अंग में कैंसर कोशिकाओं के प्रसार का पता लगाने की क्षमता को बढ़ा सकती है।
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कैंसर कोशिकाओं के दूसरे अंगों तक पहुंचने से रोग शरीर में फैल जाता है और 90 फीसदी मामलों में कैंसर के कारण मौत हो जाती है। यह ट्यूमर स्तन , प्रोस्टेट तथा मलाशय जैसे अंगों में बन जाते हैं। कैंसर के प्रसार के वाहक का पता लगाने से नए उपचार विकसित किए जा सकते हैं जिससे शरीर में कैंसर फैलने की प्रक्रिया को रोका जा सके। वैज्ञानिकों ने इस विधि को ' माकिना ’ (एमएसीएचआईएनए) नाम दिया है। एजेंसी
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