पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी पूर्णअवस्था में होता है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा ठीक 180 अंश पर होता है। उस दिन चन्द्रमा से जो किरणें निकलती है वह काफी सकारात्मक होती है और वह किरणें सीधे दिमाग पर असर डालती है। चूंकि चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे अधिक नजदीक है, इसलिए पृथ्वी पर सबसे ज्यादा प्रभाव चन्द्रमा का ही पड़ता है।
वहीं आज रात एक अलौकिक खगोलीय घटना होने जा रही है और अगर आज आप इस अद्भुत नजारे को नहीं देख पाए तो आपको इसके बाद ये नजारा 2034 में देखने को मिलेगा। दरअसल पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने वाला चांद आज धरती के बेहद नजदीक होगा जिसके कारण ये 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी चमकीला दिखाई पड़ेगा और यानी की आपको उस दिन आसमान में बड़ा चंद्रमा दिखाई पड़ेगा। इस बारे में जानकारी नासा ने दी है। जिनके मुताबिक आज की रात में आकाश में हम पेरिजी चंद्रमा को देख पाएंगे।
चंदा को "नाना या चाचा" न कहकर क्यों कहते हैं "मामा"
क्या है पूरा माजरा :-
इस पूरे मामले पर नासा का कहना है कि चंद्रमा का एलिप्टिकल ऑरबिट होता है, इसका एक हिस्सा पेरिजी कहलाता है तो वहीं दूसरा हिस्सा अपोजी कहलाता है। पेरिजी का पूरा हिस्सा लगभग 48,280 किमी (30,000 मील) है। इसके अलावा जब सूर्य, चंद्रमा और धरती एक कतार में आते हैं तो उसे सिजिगी कहते हैं।
इस सबसे बड़े मुस्लिम देश में है रामायण का विशेष महत्व
जब पृथ्वी-चंद्रमा-सूर्य पेरिजी में पड़ते हैं और चंद्रमा हमसे नजदीक होता है तो उसे सिजिगी कहते हैं। वहीं जब चंद्रमा पृथ्वी के दूसरे तरफ होता है तो उसे हम पेरिजी-सिजिगी कहते हैं।
इस वजह से चंद्रमा हमें अपेक्षाकृत नजदीक और चमकदार दिखता है, इसे सुपरमून कहकर संबोधित किया जाता है। विज्ञान की भाषा में इसे पेरिजी चंद्रमा कहेंगे। आगामी 14 नवंबर को दिखने वाला फुलमून न सिर्फ साल 2016 में धरती का सबसे नजदीकी चंद्रमा होगा बल्कि 21वीं सदी का ही सबसे नजदीकी चंद्रमा होगा। भविष्य में ऐसा नजारा साल 2034 में 25 नवंबर को देखने को मिलेगा।
इन ख़बरों पर भी डालें एक नजर :-
रॉयल एनफील्ड की ये मोटरसाइकिलें है बेहद मशहूर
भारत में केवल इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के पास है ये दमदार बाइक
इन दमदार फीचर्स से लैस होगी टाटा की हैक्सा एसयूवी कार