क्या आप जानते है रुद्राक्ष की उत्पति से जुड़े इस रहस्य के बारे में ?

Samachar Jagat | Wednesday, 21 Sep 2016 08:00:05 AM
What do you know about this secret from the foundation of Rudraksha?

रुद्राक्ष को भला कौन नहीं जानता होगा। जी हां हम उसी रुद्राक्ष की बात करे रहे है जिसे आप अक्सर माला में या गले में धारण करते है। इससे जुड़ी आस्था और श्रध्दा से तो सभी लोग परिचित है, इसिलिए इसे हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान दिया गया है। हिंदू धर्म में इसकी बड़ी ही विशेषता बताई जाती है।

लेकिन क्या आपनें कभी इस बारे में सोचा है कि आखिर रुद्राक्ष की उत्पति कैसे हुई। आखिर कहां से आया है रुद्राक्ष। ये सवाल आपसभी के जहन में जरुर आया होगा लेकिन ये सिर्फ सवाल बनकर ही कौतूहल का ही विषय बनकर रह जाता है। तो आइए इस रहस्य के बारे में हम आपको बताते है।

हिंदू पौराणिक मान्याताओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पति शिव के आंसुओ से मानी जाती है। इस विषय के उल्लेख भारतीय पुराणों में भी किया गया है. कहते है एक बार भगवान शिव नें अपने मन को वश में कर दुनिया के कल्याण के लिए सैंकड़ों सालों तक तप किया। एक दिन अचानक ही उनका मन दुखी हो गया। और जब उन्होंने अपने नेत्र खोले तो उनमें से कुछ आंसू बूंद के रुप में गिरे। कहते है इन्हीं आंसू की बुंदों से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ। शिव भगवान हमेश से ही अपने भक्तों पर कृपा करते है। उन्हीं की लीला से उनके आंसूओं नें ठोस आकार का रुप लिया और जड़ हो गए। 

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यही वजह है जिसके कारण लोग कहते है कि यदि भगवान शिव और पार्वती को प्रसन्न करना है तो रुद्राक्ष को अवश्य धारण करें।

शिव के आंसूओं से बना जड़ जिसमें रुद्राक्ष एक फल की तरह लगता है। इसका आकार बेर के समान है। तथा हिमालय में उत्पन्न होता है। रुद्राक्ष नेपाल में बहुतायत से पाया जाता है। इसका फल जामुन के समान नीला और बेर की तरह स्वादिष्ट होता है। यह अलग-अलग रंगो में पाया जाता है। जब रुद्राक्ष का फल सूख जाता है तो उसके ऊपर का छिलका उतार लिया जाता है। इसके अंदर पाई जाने वाली गुठली ही असली रुद्राक्ष होता है। गुठली के ऊपर 1 से 14 तक धारियां बनी रहती है।जिन्हें मुख कहा जाता है।

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किस श्रेणी का रुद्राक्ष रहता है उत्तम-

रुद्राक्ष को तीन प्रमुख श्रेणीयों में विभाजित किया जाता है। उत्तम,मध्यम और निम्म। उत्तम श्रेणी के रुद्राक्ष की पहचान करना सरल होता है, इनका आकार आंवले के फल के बराबर होते है। मध्यम श्रेणी के रुद्राक्ष का आकार बेर के फल के समान होता है। निम्न श्रेणी के रुद्राक्ष का आकार चनें के दाने के समान होता है।

रंगों के आधार पर-

सफेद रंग का रुद्राक्ष ब्राह्मण वर्ग का, लाल रंग का क्षत्रिय, मिश्रित वर्ण का वैश्य तथा श्याम रंग का शूद्र कहलाता है।



 

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