नई दिल्ली। वैसे तो इस सृष्टि में आज भी ऐसे कई रहस्य हैं, जो रहस्य ही रहे तो ठीक है। चलो हम बात करते हैं श्रीकृष्ण युग की। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में ऐसे कई चमत्कार दिखाएं है, जो किसी अवतार ने नहीं दिखाएं। आपको बता दें कि जब मामा कंस ने उन्हें और बलराम को मथुरा आने का निमंत्रण दिया।
वृंदावन के लोगों को जब यह बात पता चली, तो वह दु:खी हो गए। माता यशोदा परेशान थीं, तो नंद बाबा बेहद चिंतित थे। सभी कृष्ण के रथ के चारों तरफ खड़े हुए थे। जो कान्हा के मामा ने उन्हें मथुरा लाने के लिए भेजा था। मथुरा जाने से पहले श्रीकृष्ण राधा से मिले थे।
राधा और श्रीकृष्ण से जुड़ी बात
राधा श्रीकृष्ण के मन में चल रही हर गतिविधि को जानती थीं। दोनों को बोलने की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ी। आखिर राधा को अलविदा कहकर श्रीकृष्ण उनसे दूर चले गए। लेकिन विधि का विधान कुछ और ही था। राधा एक बार फिर कृष्ण से मिलीं। राधा, कृष्ण की नगरी द्वारिका पहुंची। कृष्ण ने जब राधा को देखा तो बहुत खुश हुए। दोनों संकेतों की भाषा में एक दूसरे से काफी देर तक बातचीत करते रहे। शास्त्रों में वर्णित है कि राधा जी को कान्हा की नगरी द्वारिका में कोई नहीं जानता था।
राधा का अनुरोध
राधा के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें महल में एक देविका के रूप में नियुक्त किया। वह दिन भर महल में रहतीं, महल से जुड़े कार्यों को देखती और जब भी मौका मिलता दूर से ही श्रीकृष्ण के दर्शन कर लेती थीं। लेकिन एक दिन राधा महल से दूर चली गईं। भगवान श्रीकृष्ण उनके पास पहुंचे। ये दोनों का आखिर मिलन था। ये वह वक्त था, जब राधा अपने प्राण त्याग रही थीं।
और अपने प्रिय को अलविदा कह रही थीं। कान्हा ने राधा से पूछा, 'वे इस अंतिम वक्त में कुछ मांगना चाहती हैं। तब राधा ने एक ही मांग की और वे यह कि ‘वे आखिरी बार कृष्ण को बांसुरी बजाते देखना चाहती थी’। श्रीकृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद मधुर धुन में उसे बजाया, बांसुरी के मधुर स्वर सुनते-सुनते राधा जी ने अपना शरीर त्याग दिया। कहते हैं कृष्ण ने इस घटना के बाद अपनी बांसुरी तोड़ दी थी। चलो जो भी लेकिन कुछ चीजें रहस्य रहे तो सम्पूर्ण ब्रहांड का फायदा है।