सालेम। रियो पैरालिम्पिक्स में ऊंची कूद में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाली मरियप्पन थांगावेलू को पूरा देश सराह रहा है। लेकिन उसकी इस जीत के पीछे बहुत मुश्किल मेहनत छुपी है जो हर कोई नहीं जनता। वह एक गरीब परिवार की मरियप्पन के लिए ये सब इतना आसान भी नहीं था।
तमिलनाडु के सालेम जिले से आने वाले मरियप्पन की मां सरोजा सब्जियां बेचती हैं और उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की परवरिश की है। दिन के सौ रूपए कमाने वाली सरोजा अपने बेटे की जीत पर फूले नहीं समां रही हैं। बेटी की इस जीत से उनकी माँ बहुत खुश है।
इससे पहले सरोजा दिहाड़ी मजदूर थीं और ईंट उठाने का काम करती थीं। वह कहती हैं, जब मुझे छाती में दर्द की शिकायत हुई तो मरियप्पन ने किसी से 500 रू. उधार लिए और मुझसे कहा कि मैं सब्जियां बेचने का काम कर लूं।
मरियप्पन ने बीबीए की पढ़ाई एवीएस कॉलेज से पूरी की जहां के शारीरिक शिक्षा निदेशक ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और मरियप्पन को आगे बढ़ाया। वह ”करो या मरो' क्लब का हिस्सा भी था जहां उसे प्रोत्साहन मिला करता था। मरियप्पन के भाई टी कुमार बताते हैं, बाद में बैंगलुरू के सत्या नारायण ने उसे दो साल तक ट्रेनिंग दी और साथ में 10 हजार रूपए का मासिक वेतन (स्टायपेंड) भी दिया।
1995 में जब मरियप्पन महज पांच साल के थे तब उनके स्कूल के पास एक सरकारी बस से टक्कर होने के बाद वह अपना पैर खो बैठे। लेकिन वह रुके नहीं, 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उनके परिवार को दो लाख रूपए का मुआवजा दिया गया। सरोजा ने कानूनी खर्चों के लिए लाख रूपए भरे और बाकी के एक लाख अपने बेटे के भविष्य के लिए जमा कर दिए।
मरियप्पन के तीन भाई और एक बहन है जिसकी शादी हो गई है। गरीबी की वजह से बड़े भाई टी कुमार को पढ़ाई अधूरी छोडऩी पड़ी। दूसरा भाई स्कूल के आगे पढ़ ही नहीं पाया। सबसे छोटा भाई अभी 12वीं में है। उनकी मां कहती हैं कि अगर मदद मिले तो वह अपने बेटों को कॉलेज भेजना चाहेगी।
पति के द्वारा परिवार को कथित तौर पर छोड़ देने के बाद सरोजा ने अकेले ही अपने बच्चों की परवरिश की है। काफी वक्त तक कोई भी इस परिवार को किराए पर मकान देने के लिए तैयार नहीं था।
मरियप्पन के छोटे भाई ने कहा, हम सब यह इवेंट लाइव देख रहे थे। सुबह ठीक 2.52 बजे मेरे भाई ने गोल्ड मेडल जीता। एक मिनट के लिए लगा जैसे कि यह कोई सपना है, लेकिन यह हकीकत थी। मेरा भाई पोडियम पर मेडल के साथ खड़ा था। हमें हमेशा से उम्मीद थी कि वह मेडल जीतेगा। उनके कोच को भी पूरा यकीन था मरियप्पन गोल्ड जीतेगा।
जीत के बाद मरियप्पन के परिवार ने खुशी से पटाखे जलाए। मरियप्पन का परिवार 500 रूपये महीने के किराये के घर पर रहता है। उनके घर में इस खबर के बाद लोगों का तांता बंद ही नहीं हो रहा।