दिल्ली में स्थित है मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा। हुमायूँ की मौत के नौ साल बाद 1565 ई. में उनकी विधवा बेगा बेगम ने यह मकबरा बनवाया था। इस भवन के निर्माण के लिए वास्तुकारों को अफगानिस्तान के हेरात शहर से बुलाया गया था। इस इमारत को यमुना नदी के किनारे पर बनाया गया था। ]
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इसकी मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी जो कि लगभग 30 एकड़ तक फैला हुआ है। यहां सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हुआ था। भारत में पहले ऐसे उद्यान कभी नहीं देखा गया और बाद में मुगल स्थापत्य कला के लिए एक मिसाल कायम की। 1993 में इस इमारत समूह को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
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यमुना नदी के किनारे मकबरे के लिए इस स्थान का चुनाव इसकी हजरत निजामुद्दीन (दरगाह) से निकटता के कारण किया गया था। यहां स्थित चारबाग चतुर्भुजाकार पारसी शैली का बगीचा है और पूरे दक्षिण एशिया में अपने प्रकार का पहला बाग है।
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