पिछले 4000 सालों से ट्रिनुकागिगुर ज्वालामुखी शांत पड़ा हुआ है। यह विश्व का इकलौता ज्वालामुखी है जिसके मैग्मा चैम्बर तक आप जा सकते है। इसके लिए आपको ज्वालामुखी के अंदर 400 फीट नीचे तक उतरना पड़ेगा। मैग्मा चैम्बर तक जाने के लिए एक लिफ्टनुमा मशीन लगाई गई है। यहां पहुंचने पर आपको नीचे का नजारा रहस्य और रोमांच से भर देगा। इस एडवेंचर टूरिजम को ‘इनसाइड वोल्केनो’ नाम दिया गया है। यदि आप एक्सट्रीम एडवेंचर का शौक रखते हैं तो यह जगह आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं है।
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आइसलैंड में स्थित है ट्रिनुकागिगुर ज्वालामुखी। आपको बता दें कि आइसलैंड यूरोप का एक देश है जो की कई छोटे-छोटे आइलैंड से मिलकर बना है। ये सभी आइलैंड नार्थ अटलांटिक महासागर में एक सक्रिय ज्वालामुखी बेल्ट पर स्थित है। आइसलैंड को ज्वालामुखियों का घर कहा जाता है क्योकि यहां पर 130 से अधिक ज्वालामुखी है जिनमे से अधिकतर पूरी तरह सक्रिय हैं। ब्लफ्जोल कन्ट्री पार्क में ट्रिनुकागिगुर वोल्केनो स्थित है। यह आइसलैंड की राजधानी रिकिविक से 20 किलो मीटर दूर है। वोल्कैनो के बेस केम्प तक जाने के लिए यात्रियों को लावा की पथरीली जमीं पर 45 मिनिट की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। बेस केम्प पर गाइड यात्रियों को अंदर रखने वाली सावधानियों के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है। फिर वाटर प्रूफ कपड़े पहनकर और आवश्यक औजार लेकर ज्वालामुखी में प्रवेश दिया जाता है।
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ट्रिनुकागिगुर मैग्मा चैम्बर गुफा की आज से करीब 40 साल पहले 1974 में विशेषज्ञ डॉ. अर्नी बी स्टेफेंसन ने खोजा की थी। जब एक ज्वालामुखी शांत होता है तो लावा ज्वालामुखी के मैग्मा चैम्बर से मुंह तक ठंडा होकर पत्थर बन जाता है, जिससे वोल्कैनो के अंदर प्रवेश करना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन इस ज्वालामुखी में किसी अज्ञात कारण से ऐसा नहीं होता है इसलिए इस ज्वालामुखी में प्रवेश करके इसके मैग्मा चैम्बर तक पहुंचा जा सकता है। पहले इसमें एडवेंचर्स क्लाइम्बर्स रस्सियों और औजारों के साथ उतारते थे पर यह बहुत ही ज्यादा खतरनाक था इसलिए बाद में यहां पर अंदर जाने के लिए एक लिफ्टनुमा मशीन लगाई गई और 2012 में इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया हालांकि इसके अंदर जाने के लिए कई तरह के मेडिकल और फिजिकल टेस्ट पास करने पड़ते है।